पुतिन को कोई तो रोको! यूक्रेन के बाद इन देशों पर हमले का प्लान, रूस के आगे ट्रंप ने भी साध ली चुप्पी

Russia-NATO News: रूस की विदेशी खुफिया सर्विस (SVR) के निदेशक सर्गेई नारिश्किन ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) रूस या बेलारूस के प्रति आक्रामकता दिखाता है तो पोलैंड और अन्य बाल्टिक राज्यों को निशाना बनाया जाएगा.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 16, 2025, 03:19 PM IST
पुतिन को कोई तो रोको! यूक्रेन के बाद इन देशों पर हमले का प्लान, रूस के आगे ट्रंप ने भी साध ली चुप्पी

Russia News: रूस और यूक्रेन का युद्ध कोई 2 साल पुराना नहीं. हां ये कह सकते हैं कि पिछले एक दशक में दो बार रूस, यूक्रेन पर हमला बोल चुका है. हालांकि, अब बात इससे भी आगे पहुंच गई है. दरअसल, एक तो अमेरिका का रूस के प्रति नरम रवैया तो दूसरी ओर NATO, EU देशों का अपनी एक अलग रणनीति के तहत रूस को आंख दिखाना. लेकिन अब रूस ने अन्य देशों पर भी हमले की चेतावनी दे दी है.

रूस की विदेशी खुफिया सर्विस (SVR) के निदेशक सर्गेई नारिश्किन ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) रूस या बेलारूस के प्रति आक्रामकता दिखाता है तो पोलैंड और अन्य बाल्टिक राज्यों को निशाना बनाया जाएगा.

समाचार एजेंसी RIA नोवोस्ती को दिए एक साक्षात्कार में खुफिया प्रमुख ने कहा कि यदि नाटो ने रूस या बेलारूस को धमकी दी, तो वे पूरे सैन्य गठबंधन को 'नुकसान' पहुंचाएंगे, लेकिन पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया 'सबसे पहले निशाने पर होंगे.'

उन्होंने यह भी दावा किया कि पोलैंड बेलारूस और रूस के कैलिनिनग्राद एक्सक्लेव सीमाओं के पास लाखों एंटी-टैंक माइंस तैनात करने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा, 'पोलैंड और बाल्टिक गणराज्य विशेष रूप से आक्रामक हैं, वे लगातार अपने हथियारों को फिट कर रहे हैं. पोलैंड ने बेलारूस और कैलिनिनग्राद क्षेत्र की सीमाओं पर लगभग दो मिलियन एंटी-टैंक माइंस लगाने की अपनी योजना की घोषणा की है और अमेरिकी परमाणु हथियार भी प्राप्त करना चाहता है. यह दुखद है.'

बता दें कि ऐसा माना जाता है कि मास्को, यूक्रेन पर आक्रमण करे हुए है. ऐसे में अगर वह पूरे तरीके से इसमें सफल होता है तो वह अपना ध्यान यूरोप के पूर्वी ब्लॉक के देशों पर केंद्रित कर देगा.

नारिश्किन ने आगे कहा कि रूस और बेलारूस की सीमाओं के पास नाटो की सैन्य गतिविधि में वृद्धि 'यूरोपीय महाद्वीप पर मौजूदा प्रमुख, बहुत खतरनाक संकट' के लिए जिम्मेदार है.

उन्होंने कहा, 'उन्हें समझना चाहिए, हालांकि वे अभी तक नहीं समझ पाए हैं, कि संघ राज्य के खिलाफ उत्तरी अटलांटिक गठबंधन की आक्रामकता की स्थिति में, निश्चित रूप से पूरे नाटो ब्लॉक को नुकसान होगा, लेकिन सबसे अधिक नुकसान पोलैंड और बाल्टिक देशों के राजनीतिक हलकों में ऐसे विचारों के वाहकों को होगा.'

पोलैंड और अन्य देशों की क्या है योजना?
NATO के सदस्य देश फिनलैंड ने रूस से बढ़ते सैन्य खतरे के जवाब में 2029 तक एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स पर प्रतिबंध लगाने वाले वैश्विक सम्मेलन से बाहर निकलने का फैसला ले लिया. फिनलैंड, रूस के साथ नाटो की सबसे लंबी सीमा की रक्षा करता है. अब वह संधि से बाहर निकलकर फिर से बारूदी सुरंगों का भंडारण शुरू कर सकता है. फिनलैंड 2023 में नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल हो गया था.

पोलैंड और एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया के बाल्टिक देशों ने कहा कि वे पड़ोसी रूस से उत्पन्न खतरों के कारण 1997 के ओटावा सम्मेलन से हट जाएंगे.

दरअसल, रूस से इन देशों को क्यों खतरा है और इनका क्या प्लान है. वहीं, अमेरिका का नरम रुख क्यों इन देशों को खड़ा कर रहा रूस के सामने? पढ़ें ये खबर: यूक्रेन के बाद रूस को आंख दिखा रहा ये छोटा देश, मिलिट्री पावर में करेगा रिकॉर्ड इजाफा

नाटो देशों में कौन-कौन?
बता दें कि यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिए अमेरिका की तरफ से NATO के गठन का प्रस्ताव रखा गया था. अमेरिका के ही नेतृत्व में NATO का गठन हुआ था. यूरोप में कई देश हैं. इसमें ही यूरोपीय संघ है, जिसमें 27 देश सदस्य हैं. यूरोप में इसके अलावा रूस, यूक्रेन जैसे अन्य राष्ट्र और कई छोटे देश शामिल हैं.

NATO जब बना तो कुल 12 देश थे, लेकिन अब 32 देश इसमें सदस्य हैं.

यूनाइटेड किंगडम      (1949)
संयुक्त राज्य अमेरिका (1949)
स्वीडन                    (2024)
तुर्किये                     (1952)
अल्बानिया                    (2009)
बेल्जियम                      (1949)
बुल्गारिया                      (2004)
कनाडा                           (1949)
क्रोएशिया                       (2009)
चेकिया                          (1999)
डेनमार्क                          (1949)
एस्तोनिया                      (2004)
फिनलैंड                         (2023)
फांस                       (1949)
जर्मनी                    (1955)
ग्रीस                        (1952)
हंगरी                       (1999)
आइसलैंड                 (1949)
इटली                      (1949)
लातविया                 (2004)
लिथुआनिया             (2004)
लक्जमबर्ग               (1949)
मोंटेनेग्रो                  (2017)
नीदरलैंड                  (1949)
उत्तरी मैसेडोनिया       (2020)
नॉर्वे                        (1949)
पोलैंड                      (1999)
पुर्तगाल                   (1949)
रोमानिया                 (2004)
स्लोवाकिया              (2004)
स्लोवेनिया               (2004)
स्पेन                       (1982)

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