चाय से ज्यादा केतली गर्म! पुतिन पर जितने जेलेंस्की नहीं भड़के, उससे ज्यादा मैक्रों क्यों आग-बबूला?

Emmanuel Macron And Putin Relations: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में पुतिन पर जेलेंस्की कम और फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों अधिक आग-बबूला हैं. मैक्रों ने राष्ट्रपति बनते ही पुतिन को फ्रांस बुलाया था, दोनों की मीटिंग भी हुई. फिर ऐसा क्या बदला जो मैक्रों उनके कट्टर आलोचक हो गए हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 17, 2025, 12:05 PM IST
  • मैक्रों पुतिन की नीतियों के कड़े आलोचक
  • न्यूक्लियर छतरी बनाने की बात भी कही
चाय से ज्यादा केतली गर्म! पुतिन पर जितने जेलेंस्की नहीं भड़के, उससे ज्यादा मैक्रों क्यों आग-बबूला?

Emmanuel Macron And Putin Relations: रूस-यूक्रेन की जंग अंतिम दौर में नजर आ रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं. दूसरी ओर, रूस भी इस पर सकारात्मक रवैया अपनाता हुआ दिख रहा है. लेकिन अब भी यूरोप के एक देश के राष्ट्रपति पुतिन पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हैं, जिनके हालिया बयान रूस पर उनका गुस्सा जाहिर करते है. जिस दौर में जेलेंस्की भी रूस के खिलाफ संभलकर बोल रहे हैं, उस समय मैक्रों इतने गुस्से में क्यों हैं? चलिए, इसे समझने का प्रयास करते हैं...

मैक्रों बोले- रूस की परमिशन की जरूरत नहीं
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का ताजा बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है 'यूक्रेन में सैनिकों को तैनात करने के लिए यूके को रूस की अनुमति की जरूरत नहीं है. यूक्रेन को समर्थन देने के लिए फ्रांस अपने विकल्प खुले रखेगा, इसके लिए रूस से सहमति लेना जरूरी नहीं है. यूक्रेन में शांति सैनिकों की तैनाती का फैसला यूक्रेन करेगा, न कि रूस. इस काम में यूक्रेन के सहयोगी देश उसका पूरा समर्थन करेंगे.'

पुतिन के प्रति पहले क्या था मैक्रों का नजरिया?
राष्ट्रपति बनने से पहले ही इमैनुएल मैक्रों के मन में पुतिन की छवि कुछ खास अच्छी नहीं थी. साल 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों का समर्थन शुरू किया. तब से मैक्रों को रूस की नीतियां खटकने लगी थीं. लेकिन जब वे 2017 जब मैक्रों फ्रांस के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने पुतिन के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की. तब मैक्रों ने रूस को यूरोप का हिस्सा मानते हुए उसके साथ बातचीत और सहयोग की वकालत की थी. 

जब पहली बार मिले थे पुतिन और मैक्रों
मई 2017, मैक्रों ने पुतिन को वर्साय पैलेस में आमंत्रित किया. यहां दोनों नेताओं की पहली मीटिंग हुई. BBC की पेरिस संवाददाता लूसी विलियमसन ने तब कहा था- दो घंटे की हुई इस बैठक से जब दोनों राष्ट्रप्रमुख बाहर निकले तो माहौल ठंडा था. उनके बीच असहमति के लिए बहुत सारी सामग्री है. फ्रांस के चुनाव के दौरान पुती ने मैक्रों के दक्षिणपंथी प्रतिद्वंद्वी का स्पष्ट समर्थन किया था. मैक्रों ने अपने प्रचार अभियान में आरोप लगाए थे कि कि रूसी एजेंटों ने बार-बार साइबर-हैक की कोशिश की. कम मिलाकर यह मैक्रों और पुतिन की एक ऑकवर्ड मीटिंग थी.

जब दोनों के रिश्तों में दरार आई
मैक्रों और पुतिन के रिश्तों में दरार तब आई, जब फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर पर हमला बोला. दावा है कि मैक्रों ने शुरू में पुतिन से बातचीत की कोशिश की और युद्ध रोकने के लिए कई फोन कॉल किए. मगर पुतिन का रवैया सख्त रहा, मैक्रों की कोशिशें नाकाम रहीं. फिर फ्रांस ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए. इतना ही नहीं, मैक्रों ने रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद भी दी. ये फ्रांस की ओर से रूस को सीधी चुनौती थी.

सीरिया पर भी दोनों का मत अलग था
सीरिया के गृहयुद्ध में भी दोनों नेताओं के हित टकराए. रूस ने बशर अल-असद की सरकार का समर्थन किया, जबकि जबकि फ्रांस ने असद विरोधी गुटों और पश्चिमी गठबंधन का साथ दिया. मैक्रों ने रूस पर सीरिया में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया.  इसे पुतिन ने 'पश्चिमी दुष्प्रचार' कहकर खारिज कर दिया था.

फ्रांस को क्या डर सता रहा?
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को डर है कि रूस अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पूरे यूरोप पर धावा बोल सकता है, जिसकी चपेट में फ्रांस भी आ सकता है. यूक्रेन पर हुए अटैक को मैक्रों ने पूरे यूरोप के लिए खतरा माना है. हाल ही में उन्होंने कहा कि यदि इस युद्ध में रूस जीत गया, तो यूरोप की विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी. यह बयान उनके न सिर्फ उनके डर, बल्कि रणनीतिक चिंता को भी दर्शाता है. जब से अमेरिका ने रुख बदला है, तब से मैक्रों रूस पर अधिक सख्त नजर आ रहे हैं. वे चाहते हैं कि बिना अमेरिका भी यूरोप रूस का मुकाबला करे. इसके लिए मैक्रों ने परमाणु छतरी बनाने का प्रस्ताव भी रखा है.

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