नई दिल्ली: रूस अपनी आर्टिलरी क्षमताओं को बढ़ाने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. रूसी रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने अब अपने फ्लेमथ्रोअर सिस्टम TOS-2 'टोसोचका' को अपग्रेड करने पर काम शुरू कर दिया है, यह एक तरह का रॉकेट लॉन्चर होता है, जिसमें अब 220 मिमी TBS-3M थर्मोबैरिक रॉकेट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस अपडेट के बाद इसकी अधिकतम फायरिंग रेंज 12 किलोमीटर से बढ़ 15 किलोमीटर तक कर दी गई है. इसे सिस्टम की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है, जिससे लॉन्चर में बिना कोई बदलाव किए आर्टिलरी को अधिक गहराई तक हमला करने और सुरक्षित दूरी से ऑपरेशन करने की सुविधा देता है.
TBS-3M ने किया और शक्तिशाली
कई तकनीकी सुधारों के जरिए TBS-3M रॉकेट्स की बढ़ी हुई रेंज को हासिल किया गया है. इस अपडेट वर्जन में पहले से ज्यादा शक्तिशाली ईंधन चार्ज का इस्तेमाल और थोड़ा हल्का थर्मोबैरिक वारहेड शामिल किया गया है. इन सुधारों के बाद रॉकेट अधिक दूरी तक यात्रा करने में सक्षम बनेंगे, साथ ही इसकी अपने टारगेट को तबाह करने की ताकत भी बरकरार रहेगी. थर्मोबैरिक विस्फोट करने से पहले फ्यूल-एयर का एरोसोल फैलाते हैं. इस कारण तेज गर्मी और अत्याधिक दबाव की लहरें पैदा होने लगती हैं. उन्नत TBS-3M रॉकेट हथियार की विनाशकारी खूबियों को बनाए रखते हैं, जिस कारण सुरक्षित दूरी पर रहकर दुश्मन के ठिकानों को प्रभाव तरीके से नष्ट किया जा सकता है.
क्या है थर्मोबैरिक हथियारों की खूबियों
थर्मोबैरिक हथियारों की खूबियों के बारे में बात की जाए तो यह अपनी घातक क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं. खासतौर पर यह बंकरों, शहरों, खाई और बंद जगहों का विनाश करने के लिए मशहूर हैं. ये हथियार विस्फोट के वक्त आसपास की हवा से ऑक्सीजन खींच लेते हैं, जिसकी वजह से एक वैक्यूम प्रभाव पैदा होता है जो सुरक्षित जगहों पर रहने वालों को भी आंतरिक तौर पर गंभीर चोटें पहुंचा सकता है. बता दें कि इस विस्फोट से लगभग 2,000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा गर्मी पैदा होती है, जो प्रभावित इलाकों में सब कुछ जलाकर खाक कर देती है.
TOS-2 सिस्टम एक अत्यधिक उन्नत मंच है, जिसमें पूरी तरह से ऑटोमैटिक फायर कंट्रोल सिस्टम लगा है. इसमें थर्मल इमेजिंग साइट, बैलिस्टिक कंप्यूटर और लेजर रेंजफाइंडर जैसे उपकरण हैं, जो पर्यावरणीय अलग-अलग स्थितियों में भी सटीक निशाना लगाने की क्षमता प्रदान करते हैं. यह पहली बार है जब रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से TOS-2 के आंतरिक हिस्से का फुटेज जारी किया गया है, जिसमें इसका डिजिटल कमांड सूट और अर्गोनॉमिकली डिजाइन किए गए ऑपरेटर स्टेशन दिखाए गए हैं.
TOS-2 की विशेषता है मारक क्षमता
TOS-2 की सबसे विशेषता है इसकी व्यापक क्षेत्र में विनाशकारी मारक क्षमता. हर वाहन में 220 मिमी रॉकेट्स के लिए 18 लॉन्च ट्यूब और एक पूर्ण सैल्वो है, जो लगभग छह हेक्टेयर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है. थर्मोबैरिक वारहेड विस्फोट क्षेत्र में सभी कर्मचारियों और हल्के किलेबंदी को नष्ट करने में सक्षम हैं. अपनी इन विशेषताओं के कारण यह युद्धक्षेत्र में एक शक्तिशाली हथियार बनता है.
TOS-2 का पहला इस्तेमाल रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान देखा गया. यहां इसे रूस के जमीनी हमलों के समर्थन के लिए तैनात किया गया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सिस्टम का इस्तेमाल यूक्रेनी शहरी इलाकों और किलेबंद जैसी जगहों को निशाना बनाने के लिए किया गया था. यह TOS-2 के परिचालन इतिहास में मील का पत्थर था.
ये भी पढ़ें- चीन जमीनी नहीं, दिमागी घुसपैठ करेगा! दूसरे देशों के इलाकों पर हक जमाने के लिए जिनपिंग का ये इनसाइड प्लान