यूक्रेन जंग के बीच रूस ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को खोया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध में 1 लाख से ज़्यादा सैनिकों की मौत के बाद रूस ने अब तक की सबसे बड़ी सैन्य भर्ती मुहिम शुरू की है. 18 से 30 साल के 1.6 लाख युवाओं को सेना जॉइन कराने का लक्ष्य है, जिससे राजधानी मॉस्को और अन्य क्षेत्रों के युवाओं में भय का माहौल है. हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से ग्रस्त होने के बावजूद युवाओं को जबरन भर्ती किया जा रहा है, और कानूनन रास्तों से भी बच निकलना अब मुश्किल होता जा रहा है.
भर्ती से बचने के सारे रास्ते हो रहे बंद
रूस ने 1 अप्रैल 2024 से 18 से 30 वर्ष के 1.6 लाख युवाओं को सैन्य सेवा के लिए बुलाने की प्रक्रिया शुरू की है. यह 2011 के बाद से सबसे बड़ा सैन्य भर्ती अभियान है. इसका मकसद राष्ट्रपति पुतिन के आदेशानुसार रूसी सेना की संख्या को 25 लाख करना है.
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉस्को के बाहरी इलाके में रहने वाले 21 वर्षीय बोगदान ने बताया कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) जैसी बीमारी के बावजूद भर्ती के लिए समन भेजा गया और जब उन्होंने विरोध किया तो पुलिस ने उन्हें जबरन भर्ती कराने की कोशिश की. अब वह किसी गुमनाम इलाके में छिपकर रह रहे हैं.
बोगदान ने मीडिया से बताया कि उन्होंने सैन्य सेवा से छूट पाने के लिए कई बार कोर्ट में गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली. वह अब सेंट पीटर्सबर्ग जाकर दोबारा मेडिकल चेकअप करवाने की योजना बना रहे हैं ताकि वहां से छूट मिल सके.
बीमारी के बावजूद सेना में भर्ती का दबाव
मानवाधिकार संगठन ‘गो बाय द फॉरेस्ट’ के प्रवक्ता इवान चुविलिएव ने बताया कि पहले जिन कमजोरियों के सहारे लोग भर्ती से बच सकते थे, वे अब लगभग बंद हो चुकी हैं. अब समन मिलने के बाद अगर कोई उपस्थित नहीं होता तो एक साल तक वह कानूनी रूप से भर्ती के दायरे में रहेगा.
अब कई बीमारियों को अयोग्य घोषित नहीं किया जा रहा है. डॉक्टरों पर दबाव होता है कि वे हर उम्मीदवार को फिट घोषित करें. अगर कोई समन की अनदेखी करता है, तो उस पर लोन लेने, देश से बाहर जाने, खुद का बिजनेस शुरू करने जैसी चीजों पर पाबंदियां लग सकती हैं.
जबरन कॉन्ट्रैक्ट साइन कराना आम बात
रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी नागरिकों के लिए एक और खतरा यह है कि बिना जानकारी या दबाव में आकर किसी सिपाही से कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा लिया जाता है. जिससे वह औपचारिक सैनिक बनकर सीधे युद्ध क्षेत्र में भेजा जा सकता है. कई मामलों में हस्ताक्षर तक फर्जी पाए गए हैं और कोर्ट के आदेश को भी सेना ने नजरअंदाज किया है.
इन नई भर्ती के जवानों को युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाता, लेकिन उन्हें यूक्रेन की सीमा से लगे बेलगोरोद और कुर्स्क क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है. जहां युद्ध जैसी स्थिति बनी रहती है. यूक्रेनी हमलों में पहले भी कई रूसी जवान मारे गए हैं.
जो युवा धार्मिक या नैतिक कारणों से सेना में नहीं जाना चाहते, उनके लिए नागरिक सेवाओं, जैसे- अस्पताल, पुस्तकालय में काम करने का ऑप्शन देती है. लेकिन हकीकत यह है कि सरकार ऐसी अधिकतर अपील को खारिज कर देती है.
बता दें, रूस-यूक्रेन के बीच लंबे समय से भीषण जंग जारी है. जिसमें दोनों देशों की सेना ने बड़ी संख्या में जान गंवाई है. ऐसे में पुतिन सेना में जबरदस्ती रूसी नागरिकों को भेज रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि उनके पास कोई बहाना भी नहीं बचा है, जिससे वे बच कर निकल पाएं.
ये भी पढ़ें- अपनी कब्र खुद खोद रही पाकिस्तानी सेना? बलूचिस्तान में बम धमाकों के बीच 3 लोगों को जबरन उठा ले गई फौज!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.