भारत के जिस डिफेंस सिस्टम ने पाक को दिखाई औकात, उस S-400 ने रूस के विक्ट्री परेड में भरी हुंकार!

रूस में नाजी जर्मनी की जीत की पर विक्ट्री डे मनाया जा रहा है. इस दौरान निकाली गई विक्ट्री परेड में S-400 डिफेंस सिस्टम को भी प्रदर्शित किया गया. इस डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को हवा में ही ध्वस्त कर दिया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 9, 2025, 05:45 PM IST
  • S-400 डिफेंस सिस्टम को किया गया प्रदर्शित
  • पाक की हर नापाक कोशिशों को किया नाकाम
भारत के जिस डिफेंस सिस्टम ने पाक को दिखाई औकात, उस S-400 ने रूस के विक्ट्री परेड में भरी हुंकार!

S-400 in russia victory parade: 6-7 मई की दरम्यानी रात भारत ने पाकिस्तान में बड़ी एयर स्ट्राइक की. जिसमें पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया गया. भारत की ओर से यह पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई कार्रवाई थी. जिसमें केवल आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया. हालांकि, पाकिस्तान इस कार्रवाई से बौखला उठा, और 7-8 मई की रात भारत पर हमले की नाकाम कोशिश की. भारत को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ. इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारत की एयर डिफेंस सिस्टम ‘सुदर्शन चक्र’ S-400 ने निभाई. आज इसी एयर डिफेंस सिस्टम को रूस की विक्ट्री परेड में प्रदर्शित किया गया.

विक्ट्री परेड में S-400 का जलवा

भारत ने बौखलाए पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम किया. भारतीय सेना के मुताबिक, भारत के किसी भी सैन्य ठिकानों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. इस नापाक हरकत को S-400 डिफेंस सिस्टम ने नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई है. जिसे रूस की विक्ट्री परेड में शान से दिखाया गया. जहां दुनियाभर के ताकतवर नेता एकजुट हुए हैं.

2018  में भारत ने खरीदा था S-400
भारत ने दुनिया की सबसे एडवांस डिफेंस सिस्टम साल 2018 में रूस से खरीदा था. रूस के साथ 35,000 करोड़ की हुई इस डील के तहत कुल 5 स्क्वाड्रन (यूनिट) मिलने थे.  जिनमें भारत को अबतक 3 स्क्वार्डन मिल चुके हैं. बाकी के दो स्क्वार्डन अगले साल 2026 तक मिलेंगे.

अगर S-400 डिफेंस सिस्टम की बात की जाए तो इसमें कुल तीन भाग होते हैं. पहला पॉवरफुल रडार सिस्टम, दूसरा कमांड सेंटर और तीसरा मिसाइल लॉन्चर. जिसकी मदद से यह हवा में 400 किमी की दूरी तक किसी भी हमले को नाकाम कर सकता है.

कैसे काम करता है S-400?
जहां तक इस डिफेंस सिस्टम के काम करने की बात है, तो इसमें लगा रडार सबसे पहले खतरे को भापता हैं. जिसकी ट्रैकिंग क्षमता 600 किमी तक होती है. चूंकि इस सिस्टम की मिसाइल रेंज 400 किमी तक है, तो यह कन्फर्म करने के लिए वक्त लेता है. जैसे ही टारगेट कन्फर्म होता है, रडार कमांड सेंटर को सूचित करता है. जिसके बाद कमांड सेंटर रडार टारगेट को लॉक करता है, और मिसाइल दागने का आदेश देता है. सूचना मिलते ही मिसाइल लॉन्चर टारगेट को हिट करती है. इस बीच कमांड सेंटर यह भी देखता है कि टारगेट पर सटीक हमला हुआ या नहीं. अगर किसी भी तरह की गुंजाइश बची होती है तो कमांड सेंटर दोबारा मिसाइल दागने का आदेश देता है.

इस सिस्टम की सबसे खास बात है कि यह वर्टिकल अटैक करने में सक्षम है. जिससे यह किसी भी दिशा में टारगेट को ध्वस्त कर सकता है. इन्हीं खूबियों के चलते भारत ने इसे अपने डिफेंस सिस्टम में शामिल किया था. जिसकी ताकत 7-8 मई को दुनिया ने देखा.

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