Hamas secret report israel attack found: 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए आतंकी हमले ने दुनिया को झकझोर दिया था. इस हमले के पीछे हमास के आतंकी थे. जिसके बाद से हमास-इजरायल के बीच पिछले 3 साल से जंग जारी है. इजरायल का साफ कहना है कि हमास के आतंकियों के खात्मे तक उसका हमला जारी रहेगा. इस बीच इजरायली फोर्स को सुरंगों से एक ऐसी खुफिया रिपोर्ट हाथ लगी है. जिससे हमास के आतंकी हमले के पीछे की पूरी सच्चाई सामने आ गई. आइए जानते हैं, आधुनिक इतिहास की सबसे भयावह आतंकी हमले के पीछे का असली मकसद क्या था.
हमास ने किया था आतंकी हमला
7 अक्टूबर 2023 को हमास और अन्य आतंकी संगठनों ने इजरायल पर जमीन, समुद्र और हवा तीनों रास्तों से एक साथ हमला किया. इस हमले में करीब 1,200 लोगों की मौत हुई और 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया. यह हमला आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमलों में गिना गया.
इस हमले के बाद इजरायली सेना को पूरे देश में आतंकियों को मार गिराने में कई दिन लगे. जवाबी कार्रवाई में गाजा पर जबरदस्त बमबारी हुई, और तब से अब तक 50,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
इजरायली फोर्स को सुरंग में मिले दस्तावेज
हाल ही में इजरायली सुरक्षा बलों को गाजा की सुरंगों में कई सीक्रेट दस्तावेज मिले हैं. वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेज में लिखे 2 अक्टूबर 2023 की एक बैठक से पता चलता है कि हमास का मकसद इजरायल और सऊदी अरब के बीच बन रहे समझौते को रोकना था. जोकि अमेरिका की मदद से की जा रही थी.
बैठक में हमास के नेता यह्या सिनवार ने कहा था, ‘सऊदी-जायोनी सामान्यीकरण समझौता तेजी से आगे बढ़ रहा है.’ तब सिनवार ने चेतावनी दी थी कि यह समझौता अगर हुआ, तो बाकी अरब देशों का रुख भी इजरायल की ओर हो जाएगा और हमारा अस्तिव पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
बता दें, जायोनी शब्द इजरायलियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिसका मतलब जायोनीवाद से है. जायोनीवाद एक यहूदी राष्ट्रीयतावादी आंदोलन है. जो इजराइल में यहूदियों के लिए एक राष्ट्र बनाने की मांग करता है. अभी भी दुनिया भर में ऐसे कई देश हैं, जो इजरायल को राष्ट्र नहीं मानते हैं. सऊदी अरब भी इन्हीं देशों में शामिल है.
दो साल पहले बनी थी हमले की साजिश
दस्तावेजों के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2023 को आतंकी हमले से पहले साल 2021 में एक बड़ी बैठक की गई. जिसमें सिनवार भी शामिल था. बैठक में कहा गया कि सऊदी-इजरायल समझौते को रोकने के लिए ‘एक असाधारण कार्रवाई’ जरूरी है. यानी आतंकी हमले की योजना सालों पहले बनाई गई थी. वहीं, सितंबर 2023 की एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया था कि वेस्ट बैंक और यरुशलम में तनाव बढ़ाने से सऊदी-इजरायल समझौता मुश्किल हो जाएगा.
इतना ही नहीं, अगस्त 2022 की एक खुफिया रिपोर्ट हाथ लगी है. जिस पर सीक्रेट मुहर भी लगाया गया है. इसमें लिखा गया- ‘अरब देशों द्वारा सामान्यीकरण की लहर का मुख्य उद्देश्य फिलिस्तीनी मुद्दे को खत्म करना है. ऐसे में हमास को खुद को नए सिरे से स्थापित करना होगा ताकि फिलिस्तीनी आंदोलन जीवित रह सके.
अमेरिका और सऊदी अरब क्या चाहते थे?
अमेरिका, ट्रंप के पहले और बाइडेन दोनों के कार्यकाल में इजरायल को अरब देशों से जोड़ने के प्रयास कर रहा था. वहीं 2020 में ट्रंप प्रशासन ने अब्राहम समझौतों के तहत UAE, बहरीन और मोरक्को के साथ इजरायल के संबंध सामान्य करवाए. बाइडेन प्रशासन भी सऊदी अरब और इजरायल के बीच समझौता करवाने के करीब पहुंच चुका था, लेकिन ठीक उससे पहले हमास द्वारा आतंकी हमला किया गया.
सिनवार और मोहम्मद दीफ का क्या हुआ?
इस हमले की योजना के मुख्य सूत्रधार यह्या सिनवार और मोहम्मद दीफ थे. सिनवार उस समय गाजा में हमास का चीफ था, जबकि दीफ मिलिट्री विंग का प्रमुख. बाद में तेहरान में इस्माइल हनिया की हत्या के बाद सिनवार ने पूरी कमान संभाली.
इजरायली सेना ने हाल ही में दावा किया है कि दोनों नेता मारे जा चुके हैं. सिनवार को जमीनी कार्रवाई में मार गिराया गया, जबकि दीफ को हवाई हमले में निशाना बनाया गया. हालांकि, हमास की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
अब सऊदी अरब अब क्या चाहता है?
सऊदी अरब ने साफ किया है कि जब तक गाजा में युद्ध खत्म नहीं होता और फिलिस्तीनी स्टेट का स्पष्ट रास्ता नहीं दिखता, तब तक इजरायल से कोई सामान्यीकरण नहीं होगा. वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन शर्तों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को पूरी तरह से कब्जा कर वहां एक नया ‘रिवेरा ऑफ द ईस्ट’ बनाने की बात कही है. इस बयान से साफ है कि टू-नेशन थ्योरी की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है और हमास द्वारा किए गए आतंकी हमले के बाद, फिलिस्तीनी के दोबारा बसाने की राह और कठिन हो गई है.
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