राजपक्षे के परिवारवाद से बर्बाद श्रीलंका, सरकार में बड़े पदों पर बैठे थे परिवार के 40 सदस्य

दक्षिण एशिया में, कोई दूसरा राजनीतिक वंश इतना आत्मविश्वास से भाई-भतीजावादी नहीं कर रहा जितना राजपक्षे परिवार कर रहे हैं. महिंदा राजपक्षे के 2010-15 के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के दौरान, कैबिनेट के अलावा, सरकारी पदों पर राजपक्षे के परिवार के 40 से अधिक सदस्य हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 6, 2022, 04:53 PM IST
  • आपातकाल लगने के बाद कुछ ने इस्तीफा दे दिया है
  • इनमें से कई पर आर्थिक धोखाधड़ी के आरोप हैं
राजपक्षे के परिवारवाद से बर्बाद श्रीलंका, सरकार में बड़े पदों पर बैठे थे परिवार के 40 सदस्य

कोलंबो: श्रीलंका आज आपात स्थिति में है तो इसके पीछे कर्ज, खराब अर्थव्यवस्था ही नहीं कई राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार हैं. श्रीलंका की राजनीति में भाई भतीजावाद चरम पर पहुंच गया है, जिसकी कीमत देश को चुकानी पड़ रही है. दक्षिण एशिया में, कोई दूसरा राजनीतिक वंश इतना आत्मविश्वास से भाई-भतीजावादी नहीं कर रहा जितना राजपक्षे परिवार कर रहे हैं. 

महिंदा राजपक्षे के 2010-15 के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के दौरान, कैबिनेट के अलावा, सरकारी पदों पर राजपक्षे के परिवार के 40 से अधिक सदस्य हैं. हालांकि आपातकाल लगने के बाद इसमें से कुछ ने इस्तीफा दे दिया है. इनमें से कई पर आर्थिक धोखाधड़ी के आरोप हैं. 

कौन-कौन किस पद पर है
राजपक्षे परिवार, जिसके सदस्यों में श्रीलंका के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति शामिल हैं, दक्षिण में हंबनटोटा जिले के रहने वाले हैं. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई चमल, पीएम महिंदा और बेसिल तीसरी पीढ़ी के राजनेता हैं, जबकि चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व महिंदा और चमल के बेटे नमल, योसिता और शशिंद्र करते हैं. नमल प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र हैं. वह 3 अप्रैल तक युवा और खेल मंत्री थे. वहीं उनके दूसरे बेटे योसिता पीएम के चीफ ऑफ स्टाफ हैं. चमल राजपक्षे पूर्व सिंचाई मंत्री हैं. वहीं उनके बेटे शशिंद्र राजपक्षे उच्च तकनीक कृषि के वर्तमान राज्य मंत्री हैं.

यह परिवार अब गहराते संकट के बीच अपनी पकड़ खोता दिख रहा है. कुछ दिन पहले तक जब राजपक्षे मंत्रिमंडल में सामूहिक इस्तीफा हुआ था, तब तक शक्तिशाली परिवार के कई अन्य सदस्य सत्ता में थे. 

श्रीलंका में राजपक्षे परिवार का इतिहास
श्रीलंका के हंबनटोटा जिले के गिरुवापट्टुवा गांव के एक ग्रामीण भू-स्वामी परिवार से शक्तिशाली राजनीतिक वंश का उदय हुआ. परिवार की जड़ें वर्तमान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दादा डॉन डेविड राजपक्षे से मिलती हैं. राजपक्षे की राजनीतिक प्रविष्टि महिंदा और गोटाबाया के चाचा डॉन मैथ्यू राजपक्षे के साथ हुई, जिन्होंने सीलोन (उस समय श्रीलंका का नाम) राज्य परिषद का चुनाव हंबनटोटा का प्रतिनिधित्व करते हुए जीता था. उनके छोटे भाई और वर्तमान श्रीलंकाई पीएम और राष्ट्रपति के पिता एल्विन राजपक्षे, साथ ही पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे और पूर्व सिंचाई मंत्री चमल राजपक्षे उनके उत्तराधिकारी बने. 

डॉन एल्विन राजपक्षे के बेदे सबसे सफल
डॉन एल्विन राजपक्षे 1959-1960 के बीच सांसद और बाद में कृषि और भूमि के कैबिनेट मंत्री बने. हालांकि, वर्तमान पीढ़ी को सबसे अधिक राजनीतिक सफलता मिली है. डॉन एल्विन के नौ बच्चों में से दो, गोटाबाया और महिंदा देश के राष्ट्रपति बने.

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