Sunita Williams Falcon 9: अंतरिक्ष में महीनों से फंसी भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की धरती पर वापसी तय हो गई है. उन्हें 18 मार्च को भारतीय समयानुसार 10 बजकर 35 मिनट पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अलग यानी अनडॉक कर लिया गया है. जो 19 मार्च की सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर फ्लोरिडा में लैंड होगा. दरअसल, सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने 5 जून 2024 को परीक्षण यान स्टारलाइनर से ISS के लिए उड़ान भरी थी. जहां उन्हें 8 दिन गुजारना था, लेकिन वापसी से ठीक पहले उनके यान में खराबी आ गई. जिसके चलते वह पिछले 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसी हुईं थी.
ऐसे में आइए जानते हैं, जहां दुनिया के तमाम रॉकेट उन्हें लाने में असफल हो गए, वहीं फॉल्कन-9 में ऐसी क्या खासियत है, जो सुनीता विलियम्स को लेने गए ‘अंतरिक्ष यान ड्रैगन’ को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजने में सफल रहा.
साल 2023 में दिखाया करिश्मा
इस रॉकेट की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसके सामने दुनिया का कोई भी रॉकेट आसपास नहीं टिकता है. वर्ष 2023 में फाल्कन-9 ने करीब हजार टन पेलोड को ऑर्बिट में पहुंचाया था। यह नामुमकिन से काम को मुमकिन बनाने वाले इस रॉकेट के खासियत को यूं समझिए, कि उस साल दुनिया भर के जितने भी पेलोड को स्पेस में भेजा गया था, उसका 80 प्रतिशत अकेले फॉल्कन 9 एक बार में लेकर पहुंचा था.
इतना ही नहीं, इस फॉल्कन 9 का असली करिश्मा, तब देखने को मिला जब यह स्पेस से सफलतापूर्वक धरती पर लैंड किया और दोबारा पेलोड लेकर स्पेस में पहुंचा. फाल्कन 9 के अलावा कोई और ऑर्बिटल लॉन्चर यह करिश्मा आज तक नहीं कर पाया है.
फॉल्कन 9 ने अब तक 463 उड़ानों में से, 460 सफल उड़ानें भरी है, इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को धरती पर लौटने वाला रॉकेट कितना सक्सेसफुल और पॉवरफुल है.
2008 में एलन मस्क ने की शुरूआत
मंगल ग्रह पर इंसानी दुनिया बसाने की चाह रखने वाले एलन मस्क ने वर्ष 2008 में वह सपना देखा, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा. एलन मस्क ने अपने SpaceX इंजीनियर्स के साथ मिलकर साइंस फिक्शन को हकीकत में बदला. फॉल्कन के कई बार फेल होने के बावजूद, मस्क और उनकी टीम लगातार प्रयास करते रही. और आखिरी में उन्हें 4 जून 2010 को सफलता मिल ही गई. जब फॉल्कन-9 सफलतापूर्वक स्पेस ऑर्बिट में स्थापित हो गया.
लेखक एरिक बर्गर अपनी एक किताब में बताते हैं कि असल कहानी 2008 में शुरू हुई। तब SpaceX ने अपना पहला रॉकेट, फाल्कन 1 बनाया था। यह छोटा रॉकेट था और जिसका कॉमर्शिल इस्तेमाल भी संभव नहीं था. हालांकि फॉल्कन 9 ने सपने को नई उड़ान दी.
फॉल्कन 9 की खासियत, एलियन हो जाए दंग!
फॉल्कन 9 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी स्पेस क्रॉफ्ट को स्पेस के फर्स्ट स्टेज में पहुंचाने के बाद, यह सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लैंड करता है. जिसका दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
फॉल्कन 9 लगभग 22,800 किग्रा तक का पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट में और 8,300 किग्रा तक का पेलोड जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में ले जाने में सक्षम है.
इसरो के सबसे भारी रॉकेट LVM-3, जिसका वजन 4,700 किग्रा था. जिसे फॉल्कन 9 आसानी से लेकर अंतरिक्ष में पहुंच गया.
15 मार्च को हुआ था लॉन्च
नासा ने 15 मार्च 2025 को फॉल्कन 9 रॉकेट की मदद से ड्रैगन कैप्सूल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. जो 19 मार्च को सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को लेकर लौट रहा है.
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