22 रुपये में यहां बिक रहा है बदन

भूख जब हद के पार हो जाती है..मेरी बस्ती बाज़ार हो जाती है !! भोपाल के शायर सुनील सरहद की ये शायरी दुनिया के चार देशों का ज़िन्दा सच बन चुकी है. यहां पेट भरने के लिए लड़कियों को अपना बदन बेचना पड़ रहा है जहां अब लाज की चादर का मोल गिर कर रह गया है 22 रुपये..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Mar 4, 2020, 12:08 AM IST
    • रॉयटर्स और यूएन ने दी जानकारी
    • अंगोला और जिम्बाब्वे में हालात बहुत खराब
    • 12 साल तक की लड़कियां भी बेच रही हैं देह
    • साढ़े चार करोड़ लोग भूख की मार से बेजार
    • सूखा, बाढ़ और बदहाल आर्थिक स्थिति है वजह
22 रुपये में यहां बिक रहा है बदन

नई दिल्ली. इक्कीसवीं सदी की आधुनिक दुनिया का एक काला सच है ये. एक तरफ जहां ऐसे देश हैं जहां पैसा अनाप-शनाप बरसता है और उड़ाया भी अनाप-शनाप तरीके से जाता है, वहीं चार  देश ऐसे भी हैं जहां के साढ़े चार करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर पहुँच गए हैं. अफ्रीका के इन दुर्भाग्यपूर्ण देशों के नाम हैं- अंगोला, जिम्बाब्वे, मलावी और मोजांबिक, जिनकी मदद के लिए दुनिया का कोई मानवाधिकार संगठन या मानवाधिकार का ढोंगी देश सामने नहीं आ रहा है. 

जब भूख नंगी हो तो इज्जत क्या बचाना 

अंगोला में देह व्यापार अब कमाने का जरिया नहीं है, भूखे मरने से बचने का जरिया हो गया है. यहां तक कि अवयस्क लडकियां भी इस देश में खाने का सामान जुटाने के लिए अपना शरीर बेचने को विवश हैं वह भी केवल 22 रुपये में. इसी देश में कुछ बेहतर स्थिति वाले स्थान भी हैं जहां लड़कियों को 70-80 रुपये की कीमत भी मिल रही है. अंगोला, जिम्बाब्वे, मलावी, मोजाम्बिक.जाम्बिया, मेडागासकर, नामीबिया, लेसोथो और इस्वातिनी जैसे अफ्रीकी देश भी भोजन की विकराल समस्या के सामने बेबस हैं.

12 साल की लड़कियां भी बेच रही हैं देह 

अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दुनिया के सामने ये चौंकाने वाली खबर पेश की है. रॉयटर्स के अनुसार यहां की स्थिति भयावह है. मानवीय आधार पर लोगों को सहायता पहुंचाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड विजन यहां के लोगों की कितनी मदद कर पा रही है, इसकी जानकारी तो रॉयटर्स ने नहीं दी पर इस संस्था के हवाले से एजेंसी ने बताया कि भूख से जान बचाने के लिए हालात इतने डरावने हैं कि अंगोला में सिर्फ 12 साल तक की लड़की 22 से 30 रुपये में अपना शरीर बेच रही है. 

साढ़े चार करोड़ लोग भूख की मार से बेजार

अपनेआप को दुनिया का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन कह कर खुश होने वाला सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनाइटेड नेशन्स भी यहां के हालात की केवल जानकारी ही दे रहा है. ये संगठन यहां के हालात को बेहतर बनाने में क्या भूमिका निभा रहा है, इस बात पर कोई जानकारी नहीं दी गई है. यूएन के अनुसार दक्षिणी अफ्रीका में साढ़े चार करोड़ लोग भूख की मार झेलने को विवश हैं. भुखमरी के जिम्मेदार कारणों में यहां की सूखा, बाढ़ और बदहाल आर्थिक स्थिति का हवाला दिया जा रहा है. 

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