दक्षिण कोरिया के वह तरीके, जिनसे उसने कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली है

इस घोषित महामारी के डर के बीच एक ऐसा भी देश है, जिसने कोरोना पर काबू पा लिया है. वहां तेजी से स्थिति में सुधार हो रहा है और खास बात यह है कि इस देश ने कोई लॉकडाउन नहीं किया. बाजार बंद नहीं किए. किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई. अगर हमें सीखना है तो ऐसे देश से सीखना चाहिए. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 25, 2020, 06:20 PM IST
    • दक्षिण कोरिया के इन तरीकों को कोरोना से लड़ने के लिए मॉडल माना जा रहा है.
    • दक्षिण कोरिया ने एतिहात बरतते हुए हर उस चीज का इस्तेमाल किया जो कोरोना को हराने में मदद कर सकती थी.
दक्षिण कोरिया के वह तरीके, जिनसे उसने कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली है

नई दिल्लीः कोरोना के कहर को देखते हुए भारत में 21 दिनों तक यानी 14 अप्रैल तक का लॉक डाउन किया गया है. इसे लेकर अन्य जरूरी कदम भी उठाये जा रहे हैं. लॉकडाउन के कारण मॉल, रेस्तरां व बाजार बंद हैं और लोग भी घरों से नहीं निकल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर 21 दिनों में स्थिति नहीं संभलती है तो यह देश को 21 साल पीछे ले जाएगी, इसलिए कोई चूक नहीं होने देनी है. 

इसी बीच एक देश ने हालात पर काबू पाया है
इस घोषित महामारी के डर के बीच एक ऐसा भी देश है, जिसने कोरोना पर काबू पा लिया है. वहां तेजी से स्थिति में सुधार हो रहा है और खास बात यह है कि इस देश ने कोई लॉकडाउन नहीं किया. बाजार बंद नहीं किए. किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई. अगर हमें सीखना है तो ऐसे देश से सीखना चाहिए.

यह है चीन का पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया. हालांकि अब चीन में अब स्थिति सुधरती दिख रही है. पिछले कुछ दिनों में वहां नए संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से गिरी है, लेकिन दक्षिण कोरिया की स्थिति इससे काफी अलग है.

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क्या खास है कोरिया में
कोरोना वायरस ने शुरुआत में चीन के वुहान के बाद सबसे पहले कोरोना ने अपने पैर दक्षिण कोरिया में ही जमाए थे. कोरोना संक्रमित देशों की लिस्ट में दक्षिण कोरिया फिलहाल 8वें नंबर पर है. शुरुआत से अब तक यहां संक्रमण के 9137 मामले सामने आए हैं. इनमें से 3500 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं.

129 लोगों की मौत हुई है. जबकि अब सिर्फ 59 मरीज गंभीर संक्रमण में हैं. दक्षिण कोरिया में मार्च के दूसरे हफ्ते तक 8000 लोग संक्रमित पाए गए थे. लेकिन, पिछले कुछ दिनों में सिर्फ 12 मामले सामने आए हैं. 

न कोई लॉकडाउन न रोक, लोग खुद हुए सतर्क
मार्च के दूसरे हफ्ते के बाद ही लोगों ने कोरोना को लेकर खुद सतर्कता दिखाई. खास बात यह है कि देश में पहला संक्रमित मामला आने के बाद से न तो कोई लॉकडाउन किया गया और न ही बाजार बंद हुए. लोगों पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई गई.

लेकिन, फिर भी इस देश ने कोरोना वायरस को हरा दिया. दक्षिण कोरिया ने कोरोना के खिलाफ पैनिक नहीं किया. देश के लोगों ने ही इसे हराने के भी कई तरीके निकाले. ये तरीके सफल भी साबित हुए. 

अब मॉडल माने जा रहे तरीके
दक्षिण कोरिया के इन तरीकों को कोरोना से लड़ने के लिए मॉडल माना जा रहा है. दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री कांग युंग वा के मुताबिक, शुरुआत में हम भी डर गए थे. लेकिन, पैनिक न फैले इसके लिए शुरुआती टेस्ट जरूरी थे. जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज से ही कोरोना वायरस को रोका जा सकता है.

यही वजह है कि दक्षिण कोरिया में मरने वालों की संख्या भी काफी कम रही. मार्च के महीने में ही दक्षिण कोरिया में कुल 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोल गए. 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर स्क्रीनिंग की गई.

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सबसे अधिक टेस्टिंग सेंटर बनाए
दक्षिण कोरिया ने एतिहात बरतते हुए हर उस चीज का इस्तेमाल किया जो कोरोना को हराने में मदद कर सकती थी. हर शहर में रिमोट टेम्परेचर स्कैनर, गले खराबी की जांच की गई. टेस्ट होने के एक घंटे के अंदर रिपोर्ट निकालने की व्यवस्था की गई.

फोनबूथ को टेस्टिंग सेंटर में बदल दिया गया. संक्रमण की जांच के लिए बड़ी इमारतों, होटलों, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए. इससे बुखार पीड़ित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके.

हाथों का सही इस्तेमाल करना सिखाया
बाजार बंद न करने का फायदा यह मिला कि होटल और रेस्त्रां में आने वाले लोगों की जांच की गई. बुखार का टेस्ट होने के बाद ही लोगों को होटलों में जाने की अनुमति दी गई. द. कोरिया के हेल्थ एक्सपर्ट्स ने संक्रमण से बचने के लिए हाथों का कैसा इस्तेमाल करना है. इसका तरीका भी सिखाया गया.

यह अपने आप में अनोखा तरीका था. दाएं हाथ से काम करने वाले व्यक्ति को  मोबाइल चलाने, डोर हैंडल पकड़ने और हर छोटे-बड़े काम करने के लिए बाएं हाथ का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. 
दक्षिण कोरिया यह तरीका बेहद कामयाब रहा. दाएं हाथ वालों की तरह बाएं हाथ वालों से ज्यादातर काम दाएं हाथ से करने को कहा गया.

एक्सपर्ट मानते हैं कि ज्यादातर लोग जिस हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उसकी हाथ का इस्तेमाल रोजमर्रा के काम के लिए भी किया जाता है. वही हाथ सबसे पहले चेहरे पर जाता है. 

 

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