Afghanistan: इन खूंखार आतंकियों ने दिलाई तालिबान को अफगान की सत्ता, जानिये पूरा कच्चा चिट्ठा

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर चार लोगों में से एक है जिसने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी. 

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Aug 16, 2021, 06:30 AM IST
  • इन 4 आतंकियों ने दिलाई तालिबान को सत्ता
  • मुल्ला बरादर होगा तालिबानी सरकार का राष्ट्रपति
Afghanistan: इन खूंखार आतंकियों ने दिलाई तालिबान को अफगान की सत्ता, जानिये पूरा कच्चा चिट्ठा

नई दिल्ली: पूरे अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है. राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़कर ताजिकिस्तान में शरण ले ली है. ये तय है कि आने वाले समय में पूरी तरह अफगानिस्तान तालिबान का गुलाम रहेगा.

तालिबान की जीत और अफगान सेना की हार के कई कारण बताते जा रहे हैं. हम आपको बताते हैं कि तालिबान के सत्ता संघर्ष में किन विद्रोहियों और उग्रवादियों ने उसकी मदद करके जीत की राह तैयार की.

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तालिबान ने अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति घोषित किया है. इसने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी. अफगानिस्‍तान में सत्‍ता हस्‍तांतरण के बाद तालिबान की कमान जिन लोगों को सौंपी जाएगी, उनमें मुल्‍ला बरादर एक है. तालिबान ने उसे भावी राष्‍ट्रपति घोषित किया है.

तालिबान अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर हमले के बाद 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को घुटने पर लाने के बाद मुल्ला बरादर ने आतंकवाद की कमान संभाल ली. मुल्ला बरादर पाकिस्तान की जेल में भी रहा और उसने वहां से तालिबान को मजबूत करने की नींव तैयार की. मुल्ला बरादर को 2010 में आईएसआई ने कराची से गिरफ्तार कर लिया था बाद में 2018 में पाकिस्तान ने उसे रिहा कर दिया था. 

हिबतुल्लाह अखुंदजादा

वर्तमान में तालिबान की कमान हिबतुल्लाह अखुंदजादा के पास है. ये तालिबान का वर्तमान में सुप्रीम लीडर है. इसे तालिबान के वफादार नेताओं के रूप में जाना जाता है. अखुंदजादा इस्लामी कानूनी का बड़ा विद्वान होने के साथ तालिबान का सर्वोच्च नेता है. तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हिबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है. 

अखुंदजादा 2016 में तालिबान का सरगना बना था. अखुंदजादा ने ही अशरफ गनी सरकार के खिलाफ लड़ाके तैयार किये और अफगान सरकार को उखाड़ फेंका. इसने जिहादी लड़ाकों की ऐसी फौज तैयार की जिसने अफगान सेना के होश उड़ा दिये और तालिबानी अभियान के दौरान कभी भी अफगान सेना आतंकियों का मुकाबला नहीं कर सकी. तालिबान का शीर्ष नेता नियुक्त होने के बाद अखुंदजादा को अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी धार्मिक विद्वान बताकर उसकी तरीफ करता था और उसे वफादारों का अमीर कहता था. 

हिबतुल्लाह अखुंदाजादा से पहले तालिबान का चीफ अख्तर मंसूर नाम का आतंकी था. 2016 में अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तर मंसूर की मौत हुई थी.

सिराजुद्दीन हक्कानी

सिराजुद्दीन हक्कानी, तालिबान की तलवार शाखा हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख भी है. सिराजुद्दीन हक्कानी पिछले साल कोरोना की चपेट में भी आया था और वो मौत के मुंह से निकल आया था.

सिराजुद्दीन ने भी तालिबान के लिये जमीन तैयार की और दुनियाभर के इस्लामिक देशों में जाकर तालिबान को जिंदा किया. वो हक्कानी नेटवर्क का सरगना सिराजुद्दीन तालिबान का डिप्टी लीडर है और उसने अफगान सेना को खूब तंग किया था. 

गौरतलब है कि अमेरिका जिस हक्कानी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता है, सिराजुद्दीन उसका सर्वेसर्वा है. हक्कानी नेटवर्क और तालिबान नेटवर्क, दोनों का मकसद अफगानिस्तान पर शासन है. हक्कानी नेटवर्क के दहशतगर्द फिदायीन हमले ज्यादा करते हैं. 

मुल्ला याकूब

मुल्ला याकूब के पिता मुल्ला उमर ने तालिबान की स्थापना की थी. मुस्लिम धार्मिक नेता मुल्ला उमर 1979 में सोवियत संघ के हमले के बाद जिहादी बना था. तालिबान की स्थापना के बाद से मुल्ला उमर इस आतंकी संगठन का सरगना बन गया था. मुल्ला उमर का बेटा याकूब पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी से जुड़ा हुआ है. तालिबान की जंगजू यूनिट की कमान इसी के हाथ में है. 

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जंग और हमलों की रणनीति भी यही तय करता है. कुछ जानकार मानते हैं कि याकूब की संगठन में भूमिका उतनी मजबूत नहीं है, जितनी बताई जाती है. तालिबानी युद्ध में याकूब का रोल कुछ खास बले ही न हो लेकिन तालिबानी सरकार में वो सबसे कद्दावर संचालक माना जा रहा है. याकूब फील्ड कमांडरों के ग्रुप को ऑपरेशन के लिये तैयार करता था और रणनीतिक आतंकी अभियान में उनका प्रयोग करता था. 

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