मिडिल ईस्ट में अमेरिका की धमक! ईरान को डराने के लिए भेजा 'भारी-भरकम' न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट

अमेरिका और ईरान के रिश्तों में हमेशा ही खटास दिखी है. हालांकि, ईरान ने पिछले दिनों अमेरिका संग हुई बैठक को सकारात्मक बताया, लेकिन अमेरिका की फैसलों को देखते हुए ऐसा कह पाना थोड़ा मुश्किल है.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Apr 15, 2025, 11:32 PM IST
    • अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में भेजा एयरक्राफ्ट कैरियर
    • ईरान के साथ दूसरी बातचीत से पहले उठाया कदम
मिडिल ईस्ट में अमेरिका की धमक! ईरान को डराने के लिए भेजा 'भारी-भरकम' न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट

नई दिल्ली: ओमान में ईरान की अमेरिका के साथ हुई पहले राउंड की बैठक को ईरान ने सकारात्मक बताया है. हालांकि, ये बैठक वाकई वैसी ही रही है जैसी ईरान बता रहा है? ऐसा अंदाजा इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, दूसरे राउंड की बैठक से पहले ही अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपना दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस कार्ल विंसन (USS Carl Vinson) भेज दिया है. साथ ही यह भी खुलासा हुआ है कि इस एयरक्राफ्ट पर शक्तिशाली फाइटर जेट्स भी लदे हुए हैं.

एयरक्राफ्ट पर लदे हैं विनाशक फाइटर जेट्स
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि अमेरिका के इस एयरक्राफ्ट पर विनाशक फाइटर जेट्स लदे हुए हैं, जो मिडिल ईस्ट के जलक्षेत्र में एक्टिव हैं. वहीं, अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि ईरान और अमेरिका के बीच दूसरे राउंड की बातचीत कब और कहां होने वाली है, क्योंकि पिछले ही दिनों अमेरिकी अधिकारियों ने बातचीत के लिए रोम का नाम लिया, लेकिन इसके बाद मंगलवार की सुबह ईरान की ओर से जोर देते हुए कहा गया कि अमेरिकी अधिकारी ओमान लौट जाएंगे. ऐसे में अब स्थिति काफी असमंजस वाली हो गई है.

कई बार हूतियों पर हुए हमले
उधर USS Carl Vinson और इसके स्ट्राइक ग्रुप अरब सागर में ऐसे वक्त पर पहुंचे हैं जब कहा जा रहा है कि मंगलवार की रात अमेरिक ने हवाई हमलों में यमन के ऐसे हिस्सों को टारगेट किया, जहां ईरान समर्थक हूति विद्रोहियों का नियंत्रण है. डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में कई बार हूतियों के खिलाफ हमले हुए हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसा केवल ईरान पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है. दूसरी ओर ट्रंप का कहना है कि अगर बातचीत का निष्कर्ष नकारात्मक निकलता है तब ईरान पर हमले किए जाएंगे.

50 सालों से है अमेरिका-ईरान की दुश्मनी
गौरतलब है कि अमेरिका और ईरान के रिश्ते पिछले 50 सालों से खराब हैं. ऐसे में दूसरे राउंड की बातचीत को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यहां ट्रंप लगातार धमकियां देते हुए कह रहे हैं कि अगर कोई समझौता नहीं हो पाया तो वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए हमला कर देंगे. वहीं, ईरानी अधिकारी लगातार चेतावनी देते हुए कह रहे हैं कि वह परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर सकते हैं.

स्टीव विटकॉफ ने किया हैरान
बता दें कि पिछले ही सप्ताह अमेरिका के मिडिल ईस्ट के दूत स्टीव विटकॉफ ने संकेत देते हुए कहा था कि ट्रंप प्रशासन 2015 में हुए परमाणु समझौते की शर्तों को लेकर विचार कर सकता है. हालांकि, उनके इस बयान ने इसलिए भी हैरान किया है, क्योंकि 2018 में ही ट्रंप प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते से बाहर आ गया था. विटकॉफ ने एक न्यूज चैनल को बताया, 'बातचीत में मिसाइलें और मिसाइलों के प्रकार पर चर्चा हुई जो उन्होंने वहां जमा की हुई हैं. इसके अलावा एटम बम के लिए ट्रिगर भी शामिल रहा. हम यह देखना चाहते हैं कि क्या स्थिति को बातचीत से ही हल किया जा सकता है.' 

क्या ईरान पर हमला कर देगा अमेरिका
बीते सोमवार को यूरोपीय संघ के कोपरनिकस कार्यक्रम में सैटेलाइट फोटोज में कैलिफोर्निया से संचालित किए जाने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर कार्ल विंसन को यमन के नजदीक सोकोट्रा द्वीप के उत्तर-पूर्व में ऑपरेट होते देखा गया. यह अदन की खाड़ी के पास स्थित है. बताया जा रहा है कि विंसन के साथ हमला करने वाला पूरा स्ट्राइक ग्रुप है, जिसमें टिकोन्डरोगा-क्लास गाइडेड मिसाइल, क्रूजर USS प्रिंसटन और दो आर्ले बर्क-क्लास गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, USS स्टेरेट और USS विलियम पी. लॉरेंस भी हैं मौजूद हैं. दूसरी तरफ सवाल ऐसे ये भी उठ रहे हैं कि अगर ईरान संग बातचीत फेल हो जाती है तो क्या वाकई अमेरिका, ईरान पर हमला कर देगा?

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