एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में मर जाए तो क्या होगा? कहां जाता है शव; हर जगह मौत से निपटने का अलग तरीका

Space Death: अंतरिक्ष यात्रा इंसान की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है. हालांकि इसके साथ बड़े खतरे भी जुड़े होते हैं. पिछले 60 सालों में करीब 20 अंतरिक्ष यात्री अपनी जान गंवा चुके हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि आज किसी अंतरिक्ष यात्री की मौत अंतरिक्ष में हो जाए तो क्या होगा?

Written by - ritesh jaiswal | Last Updated : Oct 4, 2025, 10:31 PM IST
  • 60 सालों में 20 अंतरिक्ष मौतें हुईं
  • NASA हर स्थिति के लिए तैयार रहता
  • शव धरती पर लौटाया जाता है
एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में मर जाए तो क्या होगा? कहां जाता है शव; हर जगह मौत से निपटने का अलग तरीका

Space Death: अंतरिक्ष यात्रा में तमाम तकनीकी की उपलब्धियों के बाद भी काफी जोखिम भरा काम है. NASA और दूसरी एजेंसियां हर होने वाली स्थितियों के लिए तैयार रहती हैं. यहां तक कि किसी साथी की मौत की स्थिति के लिए भी उन्हें क्या करना है.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौत
अगर किसी की मौत International Space Station पर हो जाती है तो आम तौर पर शव को ठंडी जगह पर सुरक्षित रखा जाता है. इसके बाद उसे कुछ घंटों या दिनों में एक स्पेशल कैप्सूल के जरिए वापस धरती पर भेज दिया जाता है.

Add Zee News as a Preferred Source

बता दें कि NASA ने कभी कभी कुछ और करने जैसे कि शव को अंतरिक्ष में छोड़ने या कक्षा में स्पेस बुरियल करने के बारे में भी सोचा है. हालांकि ये तरीका कानूनी और पर्यावरण के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है. इसलिए सबसे सुरक्षित तरीका यही माना जाता है कि शव को पृथ्वी पर लाया जाए ताकि सामान्य अंतिम संस्कार किया जा सके.

चांद पर मौत की स्थिति
अगर किसी मौत चांद मिशन के दौरान होती है, तो अंतरिक्ष यात्री का शव कुछ ही दिनों में वापस लाया जा सकता है. यात्रा छोटी होने के कारण शरीर को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने की जरूरत नहीं होती है. हालांकि, चांद की सतह पर दफनाने का विचार वैज्ञानिक रूप से सही नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे चांद को पृथ्वी के जीवाणुओं से प्रदूषित होने का बड़ा खतरा रहता है.

मंगल ग्रह पर चुनौती
मंगल मिशन में यह स्थिति सबसे मुश्किल होती है. पृथ्वी से मंगल की यात्रा आने जाने में कई साल लगते हैं. इसलिए शव को वापस लाना संभव नहीं होता है. NASA ने ऐसे हालात के लिए स्पेशल बॉडी बैग्स और अलग कक्ष बनाने की योजना बनाई  है, यहां पर तापमान और नमी कंट्रोल में रखी जा सके ताकि शरीर ज्यादा समय तक सुरक्षित रह सके.

मंगल ग्रह पर दफनाना या जलाना दोनों ही तरीका बायोलॉजिकल कंटैमिनेशन यानी संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकते हैं. इसलिए शव को तब तक सुरक्षित रखना ही सही उपाय होगा, जब तक टीम वापस पृथ्वी न आए.

यह भी पढ़ें: इनके साथ मिल DRDO बना रहा घातक लॉन्चर सिस्टम, रेगिस्तान हो या पहाड़ हर जगह दुश्मन के छुड़ा देगा छक्के

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

 

About the Author

ritesh jaiswal

डिजिटल पत्रकार और साइंस के जानकार हैं, ट्रैवल सेगमेंट में काम करने का 6 महीने से ज्यादा एक्सपीरियंस है. विज्ञान और ट्रैवल की बारीक खबरों का अपडेट देते हैं. ...और पढ़ें

ट्रेंडिंग न्यूज़