War Drill: इजरायल में दी जाने वाली मॉक ड्रिल में क्या होता है खास? जानें- युद्ध के समय नागरिक कैसे बचाते हैं अपनी जान

What is Israel mock drill: गाजा, लेबनान, सीरिया या ईरान से इजरायल में मिसाइल और मोर्टार के रूप में खतरा कभी भी आ दमकता है. जबकि इजरायल के पास दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है. हालांकि, नागरिकों कैसे खुद की रक्षा करते हैं.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : May 6, 2025, 03:24 PM IST
War Drill: इजरायल में दी जाने वाली मॉक ड्रिल में क्या होता है खास? जानें- युद्ध के समय नागरिक कैसे बचाते हैं अपनी जान

Israel mock drill: भारत में  सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल होने जा रही है. भारत के पाकिस्तान से युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. ऐसे में भारत 1971 के बाद पहली बार 244 जिलों में 7 मई को नागरिक सुरक्षा हेतु मॉक ड्रिल करने जा रहा है. हालांकि, यहां यह समझना भी जरूरी है कि जिस इजरायल पर हमेशा खतरे की बादल मंडराते रहते हैं, वह अपने नागरिकों की कैसे रक्षा करता है, वहां किस तरह की सीख नागरिकों को दी जाती है, जिससे युद्ध की स्थिति में वह सुरक्षित स्थान तक पहुंच जाते हैं?

जैसे ही मालूम होगा कि इजरायल भी हमास समेत उसकी सहयोगियों से युद्ध में शामिल है. वहां भी आए दिन सायरन आदि की आवाज सुनाई देती है. इजरायल पर 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकवादियों ने हमला बोल दिया था. जहां तब से यह भीषण युद्ध में तबदील हो चुका है और कई देश इस युद्ध में शामिल हो चुके हैं. ईरान समेत.

जहां एयर स्ट्राइक की स्थिति में देशभर में सायरन बजते हैं. तो ऐसी स्थिति में इजरायल के लोग क्या करते हैं और उन्हें किस तरह की ट्रेनिंग पहले से ही दे दी गई है? आइए इस बारे में जानने का प्रयास करते हैं.

इजरायल में सेना की मॉक ड्रिल कैसी?
धुआं, विस्फोट, मलबा, चीखें, खून. एक बार की बात है जब इजराइल के दक्षिण में Safed (शहर)  में एक आवासीय इमारत पर आधे टन के वारहेड वाली मिसाइल से हमला किया गया. शवों की तुरंत गिनती नहीं की गई, लेकिन ढही हुई इमारत और कारों के नीचे फंसे लोगों के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए. हालांकि, यह सच में कोई हमला नहीं था, बल्कि इजराइल रक्षा बलों के होम फ्रंट कमांड द्वारा गाजा सीमा के पास जिकिम में उनके बेस पर एक सर्च और बचाव अभ्यास था.

Safed में रॉकेट से क्षतिग्रस्त आवासीय इमारत वास्तविक उत्तरी इजरायली शहर से सैकड़ों मील दूर थी. विस्फोट और धुआं आतिशबाजी थी. खून नकली था, और चीखें भी नकली थीं. मलबा सालों से वहां पड़ा था.

इतना ही नहीं तब नकली रॉकेट को लेकर चेतावनी सायरन भी बज रहे थे. बचावकर्मियों से साक्षात्कार करने वाले नकली पत्रकार भी वहां थे.

तब होम फ्रंट कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ ब्रिगेडियर जनरल डेडी सिमची ने अभ्यास के दौरान टाइम्स ऑफ इजरायल को बताया था, 'इस एडवांस ट्रेनिंग में IDF अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, अग्निशमन कर्मियों और मैगन डेविड एडोम का एकीकरण भी शामिल था.'

गाजा, लेबनान, सीरिया या ईरान से इजरायल में मिसाइल और मोर्टार के रूप में खतरा कभी भी आ दमकता है. जबकि इजरायल के पास दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है.

हालांकि, IDF ने बार-बार जोर दिया है कि ये प्रणालियां रामबाण नहीं हैं, बल्कि अगले युद्ध में देश को नागरिक हताहतों और इजरायली शहरों पर हमलों के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

इजराइल भले ही युद्ध का आदी समाज हो चुका हो, लेकिन इजराइली नागरिक आबादी को दशकों से किसी युद्ध के दौरान गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा है. हालांकि, 2023 के हमास के हमले ने इन आंकड़ों को काफी हद तक खराब कर दिया है.हमास ने हमले के दौरान 1,200 से ज्यादा इजरायलियों की हत्या की. भारी संख्या में लोगों को बंधक बनाकर ले गए. जहां अब इजरायल पूरे गाजा को जीतने में लगा है और जवाबी हमले में तबाही मचा रखी है.

हालांकि, इस हमले के छोड़ दें तो पुराने आंकड़े निस्संदेह इजरायली सुरक्षा बल की नागरिक आबादी की रक्षा करने की क्षमता के प्रमाण हैं.

इजरायली समाज कैसे रहता है हमेशा तैयार?
बताया गया कि सेना के सुधार के अलावा, व्यक्तिगत इजरायली शहर भी रॉकेट हमलों के लिए अधिक तैयार हो गए हैं. इजरायल में अभ्यास में लेक्चर और सेमिनार शामिल होते थे.

वहां जब ड्रिल होती है तो आपातकालीन सायरन देशभर में बजाया जाता है, जिसके दौरान नागरिकों को निर्देश दिया जाता है वह वास्तविक यानी सही में एक अटर्ल समझकर इमरजेंसी की तरह रिएक्ट करें और शेल्टर में आश्रय लें. बताया जाता है कि वहां कुछ-कुछ दूरी पर सेफ जोन यानी शेल्टर बनाए गए हैं, जहां सायरन बजते ही लोगों को वहां जाना पड़ता है.

दरअसल, इजरायल में बम शेल्टर हैं. जो स्कूलों, सड़कों, घरों हर जगह मौजूद हैं. अभ्यास के दौरान सुरंगों की जांच की जाती है. बता दें कि इजरायल में बुनियादी प्रशिक्षण ही ऐसा होता है, जो नागरिकों को सैनिकों में बदल देता है.

बताया जाता है कि इजरायल में 18 साल से अधिक आयु होने पर नागरिकों को सैन्य सर्विस के तहत ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. बता दें कि हमास से जंग के बीच इजरायल में गन लाइसेंस लेने की होड़ मच गई थी. लोग हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे थे.

कैसे इजयारल के लोग युद्ध को लेकर रहते हैं सचेत?
अगर हम ऐसा कहें कि वहां के नागरिकों का दिमाग कही ना कही सैनिक की तरह काम करता है तो गलत नहीं है. दरअसल, इसके पीछे इजरायल के एजुकेशन सिस्टम का बहुत बड़ा हाथ है. यहां मिलिट्री की ट्रेनिंग एजुकेशन सिस्टम का हिस्सा है.

इजरायल में स्कूल के दिनों से ही सैन्य ट्रेनिंग शुरू कर दी जाती है. लड़के ही नहीं बल्कि वहां की महिला सैनिकों की मजबूती का लोहा पूरी दुनिया मानती है. बताया जाता है कि इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद में आधे से ज्यादा संख्या महिलाओं की है.

यहां एक सच्चाई यह भी है कि युवाओं को सख्त प्रशिक्षण पार करके ही कॉलेज में एडमिशन मिलता है. वह एक तरीके से मिलिट्री से सिविलियन जिंदगी में वापस लौटते हैं. तो ऐसे में यह साफ होता है कि इजरायल में जो मॉक ड्रिल होती है, वह सेना एक तरीके से युद्ध के दौरान हमले की पूर्व तैयारी करती है, जो लोगों के सामने ही होती है. वहां के लोग मॉक ड्रिल्स में शामिल होकर भी सीखते हैं और हमेशा अंडर अटैक रहने वाले इजरायल में बचपन से ही सीखा दिया जाता है कि युद्ध जैसी स्थिति में या जब सायरन बजता है कि किस तरह से बंकरों में छिप जाना है.

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