कश्मीर को काराबाख बनाने की साजिश कौन रच रहा?

दुनिया की जन्नत को बारूद से कौन धुआं-धुआं करने की ताक में है. कश्मीर को कौन काराबाख बनाने की साजिश में शामिल है. दरअसल जेहादी ताकतों के निशाने पर अब कश्मीर है. तुर्की से अर्दोआन से लेकर चीन के जिनपिंग तक की निगाहों में कश्मीर खटक रहा है तो दूसरी तरफ इमरान खान और उनकी जेहादी आतंकी ब्रिगेड है. सबने मिलकर कश्मीर को फिर से लहूलुहान करने के बेहद खतरनाक मंसूबा बनाया है..

Written by - Rajendra Kumar | Last Updated : Oct 25, 2020, 02:46 AM IST
  • आतंकियों की चीनी ड्रोन को भारतीय फौज ने मार गिराया
  • कश्मीर को नागोरनो काराबाख बनाने की ‘जेहादी’ साजिश!
  • तुर्की, पाकिस्तान और चीन का कश्मीर से बड़ा धोखा
कश्मीर को काराबाख बनाने की साजिश कौन रच रहा?

नई दिल्ली: खुफिया सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि चीन ने पाकिस्तान के आतंकियों को भाड़े पर लिया है. इन आतंकियों को पाकिस्तान के एलओसी स्थित टेरर कैंपों में ट्रेनिंग दी जा रही है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि चीन इन आतंकियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है. उससे भी बड़ी बात ये है कि चीन आतंकियों के हाथों ड्रोन सौंप रहा है.

आतंकियों को मदद दे रहा चीन

इनमें से कुछ ड्रोन पाकिस्तान ने चीन से खरीदे हैं और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकियों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दे रही है. पाकिस्तान की साजिश है कि अगर भारत की चौकन्ना फौज के चलते सर्दियों मे घाटी में ज्यादा आतंकियों की घुसपैठ न कराई जा सके तो ड्रोन के सहारे जो आतंकी पहले ही सीमा पार कर चुके हैं उन्हें हथियार भेजे जाएं.

आतंकवाद पर चीन का एजेंडा अलग

अमेरिका के एक शोधकर्ता माइकल रूबिन ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि चीन पाकिस्तान के आतंकियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है जबकि पाकिस्तान, चीन का इस्तेमाल वैश्विक मंच पर आतंकी देश के टैग से बचने के लिए कर रहा है. चीन की दुनिया से आतंकवाद को खत्म करने में कोई रूचि नहीं है.

वो सिर्फ आतंकवाद का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहा है यही वजह है कि चीन , मलेशिया और तुर्की जैसे देश मिलकर पाकिस्तान को FATF में बचाने की चालें चलते रहते हैं. हालांकि पाकिस्तान अभी भी FATF की ग्रे लिस्ट में है और खतरा काली सूची में डाले जाने का बना हुआ है. जबकि चीन इसका जमकर फायदा उठा रहा है. एक तरफ गिलगिट बालटिस्तान में जैविक संपदा का दोहर कर रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लादता जा रहा है.

पाकिस्तान के बलूचिस्तान और बालटिस्तान में चीन को लेकर गुस्सा भड़कता जा रहा है. लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं लेकिन इमरान खान की सरकार और बाजवा की सेना लोगों के आक्रोश को पैरों तले कुचल दे रह हैं.

आतंकी संगठन अलबद्र, अलकायदा, ISIS ने मिलाए हाथ!

जिस तरह से तुर्की और पाकिस्तान ने अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोरना काराबाख को लेकर जंग छेड़ी और फिर आतंकी ब्रिगेड वहां उतार दी जो कत्लेआम करने में जुटी है. कुछ ऐसी ही सोच के साथ पाकिस्तान-चीन और तुर्की कश्मीर में लगे हुए हैं. अपने मशन कश्मीर को पूरा करन के लिए इमरान खान ने आतंकियों की शरण ली है तो जिनपिंग ने कई खूंखार आतंकी संगठनों को एक साथ खड़ा कर लिया है. आतंकी संगठन अलबद्र को चीन सबसे ज्यादा मदद दे रहा है.

पाकिस्तानी सेना की अगुवाई में इनकी ट्रेनिंग हो रही है तो चीन की सेना उनकी ट्रेनिंग पर पूरी नजर रख रही है. इसके अलावा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अलबद्र, अलकायदा और ISIS को एक साथ जोड़ने में सफलता हासिल की है. इसके अलावा कश्मीर में सबसे ज्यादा समय से आतंकी वारदातों में शामिल लश्कर, जैश और हिज्बुल मुजाहिद्दीन को भी इनसे जोड़ा गया है. कुछ दिन पहले पाक सेना और ISI की निगहबानी में सभी संगठनों को एक मंच पर बुलाया गया और ज्वाइंट फ्रंट बनाकर कश्मीर में भारतीय फौज पर हमले का प्लान बनाया गया.

दुनिया भर के खतरनाक आतंकियों को पाकिस्तान और चीन कश्मीर में उतारना चाहते हैं. हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर सैयद सलाहुद्दीन को आतंकी ब्रिगेड का कॉर्डिनेटर बनाया गया है. इन संगठनों के आतंकवादियों को चीन ड्रोन ट्रेनिंग दे रहा है और साथ में चीन में बने अत्याधुनिक हथियार.

स्वेदेशी ‘भारत’ ड्रोन, चीनी ड्रोन पर भारी !

चीन की ड्रोन वाली साजिश को रोकने के लिए भारत ने भी देशी ड्रोन बनाया है जिसे पूर्वी लद्दाख मे तैनात किया गया है. भारत नाम के इस अत्याधुनिक ड्रोन को चंडीगढ़ के DRDO में डेवलप और डिजाइन किया गया है. इस भारत ड्रोन की सबसे खासियत ये है कि ये 72 घंटे तक उड़ान भर सकता है. माइनस 40 डिग्री में भी ये जासूसी करने में सक्षम है.

इसमें हाईटेक कैमरे लगे हैं जो घने जंगलों में भी छुपे दुश्मन, आतंकियों को ढूंढ लेता है. जाहिर है चीन और पाकिस्तान भले ही कश्मीर को काराबाख बनाने की साजिश रच रहे हों लेकिन ये हिन्दुस्तान है. अगर जिनपिंग, इमरान और एर्दोआन ने इसे आर्मीनिया समझने की भूल की तो मार केवल इस्लामाबाद, बीजिंग तक ही नहीं इस्तांबुल तक में सुनाई पड़ेगी.

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