नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन को पहली बार उसकी पापपूर्ण करतूतों के लिए लताड़ लगाई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने परोक्ष रूप से गलती से चीन की सच्चाई दुनिया को बता दी. इसकी आलोचना अब पूरी दुनिया में हो रही है. चीन के अमानवीय कृत्य का पूरे विश्व में विरोध हो रहा है और कोरोना वायरस की असली सच छिपाने में WHO ने भी उसकी मदद की थी. अमेरिका ने इसीलिए WHO को दोषी मानते हुए उसकी फंडिंग पर पूरी तरह रोक लगा दी.
कोरोना की जानकारी देने के मुद्दे पर WHO का झूठ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को लेकर जो नई टाइमलाइन बनाई है, उसमें इसका कोई जिक्र नहीं है कि चीन ने उसे कोरोना के बारे में बताया था. WHO का यह कदम उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, और इससे पश्चिमी देशों के उस आरोप को बल मिलता है कि वैश्विक संस्था ने पारदर्शिता नहीं बरती.
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झूठ बोलकर खुद की विश्वसनीयता बचाने की कोशिश में WHO
आपको बता दें कि चीन के बारे में पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्वजनिक रूप से कुछ कहा है. बताया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुपचुप तरीके से उन घटनाओं के क्रम को बदल दिया है, जिसके चलते पूरी दुनिया को कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा. लगभग छह महीने पहले डब्ल्यूएचओ ने दावा किया था चीन ने 31 दिसंबर, 2019 को उसे कोरोना वायरस के बारे में सूचित किया था.