चीन क्यों पाकिस्तान पर रहता मेहरबान? इस रिपोर्ट ने खोल दी ड्रैगन की असली चाल!

Pakistan China military partnership: चीन ने अपने हथियार बेच बेचकर पाकिस्तान को इतना खराब कर दिया है कि वो उसकी सैन्य क्षमताओं में विविधता लाने की क्षमता को खुद ही सीमित कर रहा है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Mar 16, 2025, 03:52 PM IST
चीन क्यों पाकिस्तान पर रहता मेहरबान? इस रिपोर्ट ने खोल दी ड्रैगन की असली चाल!

Pakistan dependent on China: पाकिस्तान की चीनी हथियारों पर निर्भरता जगजाहिर है. हालांकि, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में हाल ही में इस निर्भरता के पैमाने का खुलासा किया गया है, जो बेहद चिंताजनक है.

SIPRI के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान के हथियारों के आयात में चीन की हिस्सेदारी 81 प्रतिशत रही है, जो पिछली अवधि के 74 प्रतिशत से लगातार वृद्धि को दर्शाता है.

दोनों देशों के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी ने इस्लामाबाद की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है, लेकिन ये ऐसा झटका है जो पाकिस्तान को धीरे-धीरे लग रहा है.

चीनी आयात पर आधारित सेना
पाकिस्तान लंबे समय से स्वदेशी रक्षा उत्पादन के साथ संघर्ष कर रहा है अक्सर अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहरी आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख करता है. यानी वह खुद अपना कुछ नहीं कर पा रहा है और सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है. अब ऐसे में चीन का व्यापार बढ़ रहा है और एक बड़ी वजह ये भी है जो वो हमेशा पाकिस्तान का साथ देता नजर आता है.

वहीं, रिपोर्ट में बताया गया कि चीन के साथ वर्षों के सहयोग के बावजूद पाकिस्तान का घरेलू हथियार उद्योग बीजिंग की तकनीक और विनिर्माण पर बहुत अधिक निर्भर है. यहां तक ​​कि JF-17 फाइटर जेट जैसी प्रमुख परियोजनाएं बड़े पैमाने पर चीनी कंपोनेंट्स का यूज कर बनाई जाती हैं.  

यही पैटर्न नौसेना और मिसाइल प्रणालियों तक भी फैला हुआ है, जिसमें पाकिस्तान लंबी दूरी के टोही ड्रोन, टाइप 054A गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट और 600 से अधिक VT-4 युद्धक टैंक आयात कर रहा है.

चीनी तकनीक पर इस निर्भरता ने पाकिस्तान की रक्षा खरीद को एक तरह से आकार दे दिया है. चीन ने अपने हथियार बेच बेचकर पाकिस्तान को इतना खराब कर दिया है कि वो उसकी सैन्य क्षमताओं में विविधता लाने की क्षमता को खुद ही सीमित कर रहा है.

हथियार एक ही सप्लाई करें तो दिक्कत!
सैन्य हार्डवेयर के लिए एक ही देश पर निर्भरता का सबसे बड़ा जोखिम रणनीतिक फ्लेक्सिबिलिटी की कमी है. चीन के कुल हथियारों के निर्यात का 63 प्रतिशत पाकिस्तान को जाता है, बीजिंग प्रभावी रूप से इस्लामाबाद की रक्षा खरीद में एक प्रमुख स्थान रखता है.

यदि चीन की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं या यदि दोनों देशों के बीच आर्थिक या राजनीतिक तनाव उत्पन्न होता है, तो पाकिस्तान खुद को गंभीर स्थिति में पाएगा.

अमेरिका से चीन तक कैसे पहुंची बात
संयुक्त राज्य अमेरिका कभी पाकिस्तान का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता था, लेकिन चीन से नजदीकी पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी की तरह है. बता दें कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और चरमपंथी समूहों से निपटने की चिंताओं के कारण वाशिंगटन ने धीरे-धीरे इस्लामाबाद को अपनी सैन्य बिक्री कम कर दी है.

परिणाम यह हुआ कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सैन्य संबंध धीरे-धीरे कमजोर होते गए, जिससे इस्लामाबाद को चीन पर अधिक निर्भर होना पड़ा. यदि चीन की रणनीतिक प्राथमिकताएं बदल जाती हैं या यदि बीजिंग निरंतर सैन्य समर्थन के बदले पाकिस्तान को शर्तें तय करना शुरू कर देता है, तो यही पैटर्न खुद को दोहरा सकता है.

पाकिस्तान के पास खुद के पांव नहीं
पाकिस्तान की वर्तमान प्रगति से पता चलता है कि उसकी रक्षा रणनीति आत्मनिर्भरता से ज्यादा खरीद पर केंद्रित है. वहीं. चीन एक प्रमुख सहयोगी बना हुआ है.

स्वदेशी रक्षा उत्पादन की कमी पाकिस्तान की बाहरी सहायता के बिना अपने स्वयं के सैन्य हार्डवेयर को नया रूप देने, उन्नत करने और बनाए रखने की क्षमता को सीमित कर चुकी है.

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़