Modi in Mauritius: मॉरीशस पर क्यों मेहरबान हो रहा भारत? द्वीप राष्ट्र की सुरक्षा को ऐसे कर रहा मजबूत

India strengthening the security Mauritius: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस में हैं. वह वहां राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Mar 12, 2025, 10:11 AM IST
Modi in Mauritius: मॉरीशस पर क्यों मेहरबान हो रहा भारत? द्वीप राष्ट्र की सुरक्षा को ऐसे कर रहा मजबूत

Narendra Modi In Mauritius: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मॉरीशस पहुंचे. मोदी द्वीप राष्ट्र के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी मॉरीशस के राष्ट्रपति धरम गोखूल और प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों सहित द्वीप राष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकें करेंगे.

मोदी ने एक बयान में कहा कि वह मॉरीशस के नेतृत्व के साथ मिलकर 'हमारी साझेदारी को उसके सभी पहलुओं में बढ़ाने और हमारे लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए हमारी स्थायी मित्रता को मजबूत करने' के लिए उत्सुक हैं.

मोदी ने कहा, 'मॉरीशस एक करीबी समुद्री पड़ोसी, हिंद महासागर में एक प्रमुख साझेदार और अफ्रीकी महाद्वीप का प्रवेश द्वार है. हम इतिहास, भूगोल और संस्कृति से जुड़े हुए हैं.'

उन्होंने कहा, 'गहरा आपसी विश्वास, लोकतंत्र के मूल्यों में साझा विश्वास और हमारी विविधता का जश्न मनाना हमारी ताकत है.'

ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत मॉरीशस की सुरक्षा को कैसे मजबूत करने में मदद कर रहा है और मॉरीशस भारत के लिए क्यों मायने रखता है?

भारत मॉरीशस की सुरक्षा को कैसे मजबूत कर रहा?
भारत और मॉरीशस ने पिछले एक दशक में रक्षा सहयोग को गहरा किया है. यह भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसे मोदी ने 2015 में पहली बार रेखांकित किया था.

मोदी ने मार्च 2015 में मॉरीशस में MCGS बाराकुडा की कमीशनिंग के अवसर पर कहा था कि मॉरीशस राष्ट्रीय तटरक्षक बल में पहला भारतीय निर्मित युद्धपोत शामिल हो रहा है.

शिलांग टाइम्स के अनुसार, मोदी ने कहा, 'हम हिंद महासागर के लिए ऐसा भविष्य चाहते हैं जो सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के नाम पर खरा उतरे. हमें मानसून से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो इस क्षेत्र में हम सभी को पोषित करता है और जोड़ता है. हम अपने क्षेत्र को साझेदारी में एकजुट करने का प्रयास करेंगे, जैसा कि हम कभी भूगोल में थे. एक महासागर जो हमारी दुनिया को जोड़ता है, उसे सभी के लिए शांति और समृद्धि का मार्ग बनना चाहिए.'

मोदी ने कहा, 'यह कोई संयोग नहीं है कि मैं मॉरीशस में हिंद महासागर क्षेत्र के लिए हमारी उम्मीदों के बारे में बात कर रहा हूं. मॉरीशस के साथ हमारी साझेदारी दुनिया में हमारे सबसे मजबूत समुद्री संबंधों में से एक है. हमारी साझेदारी बढ़ेगी. हम साथ मिलकर अपनी क्षमताओं का निर्माण करेंगे. हम साथ मिलकर प्रशिक्षण और समुद्र में गश्त भी करेंगे.'

भारत ने 2015 से अब तक मॉरीशस को क्या दिया?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भारत ने तब से मॉरीशस तटरक्षक बल को दो जहाज और कुछ तेज इंटरसेप्टर क्राफ्ट दिए हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने CGS बाराकुडा को तटरक्षक बल में शामिल करने की ओर इशारा किया.

मिसरी ने कहा, 'इसके अलावा, मॉरीशस को कई तेज इंटरसेप्टर क्राफ्ट भी दिए गए हैं. हम उन्हें इस तरह की संपत्तियां मुहैया करा रहे हैं और अगर इस संबंध में और कुछ करने की जरूरत महसूस होती है, तो हम उन प्रस्तावों की भी जांच करने के लिए तैयार हैं.'

2016 में, मॉरीशस तट रक्षक सेवा ने भारतीय जहाज निर्माता गोवा शिपयार्ड लिमिटेड से ऑर्डर किए गए दस 14.5 मीटर लंबे फास्ट इंटरसेप्टर बोट (FIB) को सेवा में शामिल किया. 2017 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने दो वाटर जेट फास्ट पैट्रोल वेसल्स 'CGS वैलिएंट' में से दूसरे को अपने तट रक्षक में शामिल किया.

इस प्रकार सीजीएस वैलिएंट मॉरीशस के राष्ट्रीय तटरक्षक बल में शामिल होने वाला तीसरा ऐसा जहाज बन गया, जिसे भारत के रक्षा शिपयार्ड द्वारा आपूर्ति की गई थी. भारतीय नौसेना ने इसके चालक दल को प्रशिक्षण भी प्रदान किया.

भारत और मॉरीशस ने मोदी की 2015 की यात्रा के दौरान अगालेगा द्वीप पर परिवहन सुविधाओं को बढ़ाने, समुद्री और हवाई संपर्क में सुधार करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, समझौते में कहा गया था कि मॉरीशस के बाहरी द्वीप पर समुद्री और हवाई संपर्क में सुधार के लिए बुनियादी ढांचा इस सुदूर द्वीप के निवासियों की स्थिति को सुधारने में एक लंबा रास्ता तय करेगा. ये सुविधाएं बाहरी द्वीप में अपने हितों की रक्षा करने में मॉरीशस के रक्षा बलों की क्षमताओं को बढ़ाएंगी.'

भारत ने तब से मॉरीशस को अगालेगा द्वीप पर हवाई पट्टी और जेटी का विस्तार करने के प्रयासों में मदद की है.

ORF के अनुसार, 2024 में मोदी और मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने संयुक्त रूप से अगालेगा पर नई हवाई पट्टी और जेटी का उद्घाटन किया.

अगालेगा द्वीपसमूह मॉरीशस से लगभग 1,100 किलोमीटर उत्तर में है. दो द्वीपों से मिलकर बना यह द्वीप उत्तर में सेशेल्स, पूर्व में मालदीव, अमेरिकी बेस डिएगो गार्सिया और चागोस द्वीप और पश्चिम में मेडागास्कर, मोजाम्बिक चैनल और अफ्रीका का पूरा पूर्वी तट है.

अगालेगा द्वीप की सेफ्टी क्यों जरूरी?
अगालेगा द्वीप की रणनीतिक स्थिति इसे आतंकवाद, समुद्री डकैती और नशीली दवाओं के व्यापार जैसी अवैध गतिविधियों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बनाती है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भारत के प्रयासों से मॉरीशस को अपने 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र पर नजर रखने में मदद मिलेगी.

दोनों देशों के बीच वाइट नौवहन पर सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तकनीकी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जाने की योजना है.

शिलांग टाइम्स ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के हवाले से कहा कि इससे मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा और बढ़ेगी, इसके व्यापारिक गलियारे सुरक्षित बनेंगे और डेटा के वास्तविक समय के आदान-प्रदान में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ेगा. मिस्री ने कहा, 'इसमें न केवल भारतीय नौसेना, बल्कि मॉरीशस पुलिस बल भी इस तरह की गतिविधियों से निपटने के प्रयास में शामिल होगा.'

भारत और मॉरीशस का समझौता
द हिंदू के अनुसार, भारत और मॉरीशस ने 1974 में भारतीय रक्षा अधिकारियों को अपने तट रक्षक और हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन को प्रशिक्षित करने के लिए भेजने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

हर साल दर्जनों मॉरीशस पुलिस अधिकारी भारतीय रक्षा प्रशिक्षण अकादमियों में प्रशिक्षण लेते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मॉरीशस भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है.

2002-03 से भारत ने कार्यक्रम के नागरिक और रक्षा स्लॉट के तहत लगभग 4,940 मॉरीशसियों को प्रशिक्षित किया है.

NextIAS के अनुसार, भारत ने मॉरीशस को अपनी रक्षा को मजबूत करने के लिए 100 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन प्रदान की है.

मॉरीशस क्यों महत्वपूर्ण है?
विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण मॉरीशस भारत के सागर विजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

ORF ने कहा कि अगालेगा द्वीपसमूह में नया बुनियादी ढांचा भारत की समुद्री शक्ति के रूप में छवि को मजबूत करेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी उपस्थिति को बढ़ाएगा.

बताया गया है, 'मॉरीशस भारत की पड़ोस नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारत द्वारा इस क्षेत्र में अपना प्रभाव मजबूत करने के साथ ही चीन से चुनौती बढ़ने की संभावना है. फिर भी, चूंकि भारत का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत करना और भारतीय नौसेना की श्रेष्ठता को बनाए रखते हुए एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका को बढ़ाना है, इसलिए मॉरीशस के साथ उसकी साझेदारी एक निर्णायक कारक बनी रहेगी.'

इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक लेख में कहा गया है कि हिंद महासागर क्षेत्र में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को नई दिल्ली ने चिंता के साथ देखा है. इसलिए भारत मॉरीशस जैसे द्वीप देशों के साथ मिलकर काम करना चाहता है.

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