जिनपिंग और टैड्रोस की 'मिलीभगत'? चीन और WHO की सांठगांठ के 4 कारण

दुनिया के कई और देश भी चीन और WHO की मिलीभगत के आरोप लगा रहे हैं. तो बड़ा सवाल ये उठता है कि चीन और WHO की सांठगांठ के पीछे की असर वजह क्या है? आपको उन 4 मुख्य वजहों से रूबरू करवाते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 9, 2020, 04:54 AM IST
    1. चीन का कर्ज उतार रहा WHO?
    2. कोरोना महामारी की आड़ में सांठगांठ
    3. जिनपिंग और टैड्रोस की 'मिलीभगत'?
    4. ...और सज़ा भुगत रही पूरी दुनिया
जिनपिंग और टैड्रोस की 'मिलीभगत'? चीन और WHO की सांठगांठ के 4 कारण

नई दिल्ली: इस वक्त पूरी दुनिया में नई बहस छिड़ी हुई है. बड़ा सवाल ये है कि क्या कोरोना संकट के लिए चीन के साथ साथ WHO भी ज़िम्मेदार है? क्या कोरोना के फैलने के पीछे चीन और WHO की कोई सांठगांठ है, जिसकी सज़ा भुगत रही है पूरी दुनिया?

चीन और WHO की 'मिलीभगत'?

हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है कि क्या सचमुच कोरोना को लेकर WHO और चीन एक-दूसरे से मिले हुए हैं. चीन के राष्ट्रपति और WHO चीफ दोनों की सांठगांठ समझने के लिए आपको WHO पर चीन की मेहरबानी को समझना ज़रूरी है.

जिनपिंग-टेड्रोस की दोस्ती पर शक क्यों?

पहली वजह

Tedros जब इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री थे. तब उन पर हैजे की महामारी छिपाने का आरोप सामने आया था. इसके बावजूद WHO चीफ के तौर पर चीन ने समर्थन दिया.

दूसरी वजह

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि Tedros के पास Medicine की Degree नहीं है. उन्होंने COMMUNITY HEALTH में PHD की है. ऐसे में इसके बावजूद चीन ने WHO चीफ के तौर पर उन्हें वोट किया.

तीसरी वजह

जानकारी के अनुसार Tedros जब इथियोपिया के विदेश मंत्री थे. तब चीन ने वहां अरबों रुपये का निवेश किया था.

चौथी वजह

Tedros ने WHO चीफ बनने के बाद चीन की मदद की. चीन के करीबी जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह को प्रमोट किया. ROBERT MUGABE को WHO का Goodwill Ambassador बनाया,

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब WHO चीफ टेड्रोस चीन के इन्हीं एहसानों का कर्ज़ उतार रहे हैं. महामारी में चीन के पक्ष में तमाम बयान देकर चीन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं?

ट्रंप के आरोपों को समझिए

ट्रंप के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण को समझ पाने और दुनिया को सही वक्त पर सही सलाह देने में WHO पूरी तरह नाकाम रहा है. ट्रंप के इन आरोपों के पीछे जो दलील उसे समझिए.

दरअसल, चीन ने शुरूआती दौर में कोरोना वायरस पर जो भी बातें कहीं, WHO ने उसी बातों को सच मान लिया. कोरोना वायरस को लेकर चीन ने पहले दावा किया था कि ये एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता, WHO ने भी मान लिया था कि कोरोना इंसान से इंसान में नहीं फैलता.

इसी तरह संक्रमण को WHO ने महामारी घोषित करने से भी इंकार कर दिया था, जिसके कारण वुहान से लोगों को दुनिया भर में जाने का सिलसिला जारी रहा और दुनियाभर में कोरोना फैल गया.

WHO को इतनी देर क्यों हो गई?

मार्च के पहले हफ्ते में जब कोरोना दुनिया के सभी बड़े देशों में फैल गया तब जाकर WHO ने कोरोना को महामारी घोषित किया. यहां तक कि वुहान में कोरोना वायरस कैसे फैला इसकी जांच में WHO को शामिल नहीं करने के चीन के फैसले पर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर WHO ने कोरोना महामारी को लेकर जानबूझकर अनदेखी की? क्या कोरोना वायरस पर चीन और WHO की कोई मिलीभगत थी?

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दुनिया को इस सदी के सबसे खतरे में डालने के पीछे जितनी बड़ी गलती चीन की है उतनी ही गलती दुनिया की सेहत का ख्याल रखने की जिम्मेदारी निभाने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी है.

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