नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन सालों से जो जंग जारी है, वो अब भी थमने का नाम नहीं ले रही है. अमेरिका लगातार इस युद्ध पर सीजफायर कराने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में अब एक बीते बुधवार, 9 अप्रैल को यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस की आर्मी सेना में एक बड़ी संख्या में चीनी नागरिक भी लड़ रहे हैं. यूक्रेन का दावा है कि उसने 150 से भी ज्यादा चीनी सैनिकों को खुफिया जानकारी इकट्ठा की है, जिन्हें रूस ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी सेना में भर्ती किया है. दूसरी ओर चीन की ओर से भी इन दावों पर प्रतिक्रिया आ गई है. चीन का कहना है कि ये दावे पूरी तरह से बेबुनियाद हैं.
जेलेंस्की ने रखी शर्त
इससे पहले 8 अप्रैल को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ऐलान किया था कि यूक्रेन की सेना ने दो चीनी नागरिकों को पकड़ा है. इन्हें लेकर कहा गया है कि ये दोनों रूस की सेना में शामिल होकर यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहे थे. यह पहली बार था जब यूक्रेन ने इस लड़ाई में चीन के लड़ाकों की मौजूदगी का दावा किया. बुधवार को जेलेंस्की ने कहा कि वह इन दोनों चीनी बंदियों को रिहा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके बदले रूस को यूक्रेनी सैनिकों को छोड़ना होगा. जेलेंस्की ने बिना कोई सबूत दिए कहा कि बीजिंग सरकार इस बात से बखूबी वाकिफ थी कि रूस की सेना में चीनी सैनिकों को भर्ती की जा रही है. हालांकि, उन्होंने यह बात नहीं कही कि चीन की सरकार ने इन भाड़े के सैनिकों को मंजूरी दी थी.
यूक्रेन के पास है पूरी जानकारी
जेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन के पास इस 155 ऐसे चीनी नागरिकों के नाम, पासपोर्ट नंबर डिटेल्स और निजी जानकारियां है, जो रूस की सेना में शामिल होकर यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि चीनी नागरिकों की संख्या रूसी सेना में भी इससे भी ज्यादा है. जेलेंस्की ने मीडिया को कुछ डॉक्यूमेंट्स भी दिखाए जिनमें से चीन के भाड़े के सैनिकों के नाम, पासपोर्ट नंबर और निजी जानकारियां भी शामिल थीं, साथ ही उन्होंने बताया कि ये लोग कब मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए रूस पहुंचे और कब से अपनी सेवाएं देने के लिए रवाना हुए. हालांकि, इन डॉक्यूमेंट्स की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकती.
चीन ने आर्थिक तौर पर भी की मदद
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर पूर्ण रूप से किए हमले के बाद से ही चीन ने रूस को मजबूत कूटनीतिक समर्थन दिया है. पश्चिमी अधिकारियों का कहना है, चीन ने रूस को मशीनरी और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स बेचे हैं, जिनका इस्तेमाल हथियार बनाने में होता है. इसके अलावा चीन ने रूस को आर्थिक रूप से भी मदद करने के लिए उपभोक्ता चीजों का व्यापार किया है. दूसरी ओर ये भी माना जा रहा है कि रूस को सैनिक और हथियार पहुंचाने जैसा काम चीन ने जानबूझकर नहीं किया.
ईरान पर भी लगाए आरोप
अमेरिकी अधिकारियों ने ईरान पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने ही रूस को ड्रोन दिया है. वहीं, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के अधिकारियों उत्तर कोरिया पर आरोप लगाया है कि उन्होंने रूस को हजारों सैनिक और गोला बारूद भेजे हैं, ताकि युद्ध में रूस को मदद मिल सके. बता दें कि अमेरिका और यूरोप की ओर से काफी सैन्य और कूटनीतिक सपोर्ट यूक्रेन को मिला है, जिसकी वजह से काफी हद तक यह युद्ध पावर ब्लॉक्स की जंग बनकर ही रह गया है. वहीं, बीते कुछ वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच काफी तनाव बढ़ा है.
चीन कर रहा रूस की मदद
जेलेंस्की ने बताया कि जब अमेरिकी अधिकारियों को भाड़े के चीनी सैनिकों की खबर दी गई तो उन्होंने बहुत हैरानी जताई. अमेरिकी फॉरेन डिपार्टमेंट की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने इस मामले को लेकर कहा कि यूक्रेन में रूस का युद्ध चलाने में चीन बड़ा मददगार रहा है. उन्होंने दावा किया कि चीन रूस को 80% डुअल-यूज सामान यानी सैन्य और नागरिक दोनों कामों में इस्तेमाल होने वाला सामान भी देता है, जो युद्ध चलाने में जरूरी है.
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