सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जापान की हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है.
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नई दिल्ली: CJI रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अगुवाई वाली बेंच ने वायु प्रदूषण (Air pollution) के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हमारे विचार में सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा प्रदूषण की समस्या का समाधान खोजने के लिए बहुत कम रचनात्मक प्रयास किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जापान की हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है. कोर्ट ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्र को तीन दिसंबर तक का समय दिया है.
उन्होंने कहा कि पूरा उत्तर भारत और एनसीआर वायु प्रदूषण से पीड़ित है. इसी वजह से देश के नागरिकों के हित में कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि जापानी हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक की व्यवहार्यता का आकलन करे.
आपको बता दें कि बुधवार को जापान के विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक विकसित कर रहे हैं, जो भारत के वायु प्रदूषण की चिंताओं को हल कर सकती है. जापानी विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतियों पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 3 दिसंबर तक जापान की हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक की व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.