सरकार के दावे बेदम, किसान परेशान, 'पंजाब-हरियाणा में नहीं घटे पराली जलाने के मामले' !
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सरकार के दावे बेदम, किसान परेशान, 'पंजाब-हरियाणा में नहीं घटे पराली जलाने के मामले' !

पाकिस्तान में भी जलाई जा रही है पराली

 

फाइल फोटो

नितिका महेश्वरी/ चंडीगढ़: बीते कुछ सालों से देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की वजह पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली को जिम्मेदार ठहरा जा रहा है, इसके लिए कभी किसानों को दोष दिया गया, तो कभी सरकारें निशाने पर रहीं। 

मामला कोर्ट तक गया तो उम्मीद जगी की शायद सरकारें पराली जलाने के मामले कम करने की तरफ कुछ ठोस कदम उठाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर रविंद्र खाईवाल बताते हैं कि बीते कुछ सालों के मुकाबले इस साल भी पराली के मामले कम नहीं हुए हैं, डॉक्टर रविंद्र खाईवाल लगातार सेटेलाइट्स के जरिए पराली जलाने और एयर पॉल्युशन के लेवल पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि पराली जलाने के औसतन 200 से 250 मामले हर रोज़ सामने आ रहें हैं।

सरकार के दावे बेदम, किसान परेशान
केंद्र से लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारें अपने स्तर पर पराली जलाने के मामले घटाने के लिए किसान को सब्सिडी देने का दावा कर रही हैं, किसान को पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी दिए जाने का दावा करती हैं लेकिन जमीन पर हकीकत इससे उलट है। किसान की मुश्किल ये है कि उसके पास पराली प्रबंधन में इस्तेमाल महंगी मशीनरी को अपने दम पर खरीदने का पैसा नहीं है। 

दूसरी तरफ पराली का कोई खरीदार नहीं है, अब भला किसान जाए तो जाए कहां?.. पंजाब में किसान पहले ही कर्ज तले दबा है, कर्ज की वजह से खुदकुशी करने को मजबूर है ऐसी स्थिति में भला किसान अपने दम पर कैसे पराली प्रबंधन के लिए महंगी मशीनरी को हासिल कर पाएगा।

पाकिस्तान में भी जलाई जा रही है पराली
पीजीआई के डॉक्टर रविंद्र खाईवाल बताते हैं कि पाकिस्तान और भारत के बॉर्डर इलाकों में सबसे ज़्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए है। पंजाब के गुरदासपुर, फ़िरोज़पुर, तरन तारन, अमृतसर में पराली जलाने के ज्यादा मामले सामने आए हैं, हालांकि पटियाला, फतेहगढ़ साहिब में भी किसानों ने पराली जलाई..वही हरियाणा की बात करें तो कुरुक्षेत्र-अंबाला की तरफ पराली जलाई गई। डॉक्टर खाईवाल का कहना है कि पाकिस्तान में जलाई जा रही पराली का असर भारत पर भी पड़ेगा, क्योंकि हवा की डायरेक्शन के चलते पराली चलाने से घुलने वाला जहर सरहद के इस तरफ आ सकता है।

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