धरनास्थल पर बोलने के लिए नहीं मिला माइक तो नाराज चौटाला डंडा फटकार कर लौटे
खटकड़ टोल पर एक हाई वोल्टेज ड्रामा उस समय हो गया, जब किसानों के बीच पहुंचे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को अनदेखी का सामना करना पड़ा.
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जींद : खटकड़ टोल पर एक हाई वोल्टेज ड्रामा उस समय हो गया, जब किसानों के बीच पहुंचे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को अनदेखी का सामना करना पड़ा. शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काटकर जेल से बाहर आने के बाद से ओम प्रकाश चौटाला किसान आंदोलन के जरिए एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
स बीच रविवार को जब इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला खटकड़ टोल पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना दे रहे किसानों के बीच पहुंचे तो उन्होंने चौटाला को मंच पर जगह ही नहीं दी गई. इतना ही नहीं उन्हें अपनी बात कहने का मौका ही नहीं दिया.
दिलचस्प बात तो ये है कि किसानों ने उनका जोरदार स्वागत तो किया, लेकिन उन्हें माइक देने से इनकार कर दिया. चौटाला काफी देर तक माइक मांगते रहे, लेकिन किसानों ने उन्हें अनसुना कर दिया. बाद में नाराज चौटाला बिना कुछ कहे वहां से निकल गए.
दरअसल तिहाड़ जेल से छूटने के बाद चौटाला बीते कई दिनों से दिल्ली के गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर समेत हरियाणा में अलग-अलग जगहों पर चल रहे धरना-प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं. इसी क्रम में वह जींद जिले में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने पहुंचे थे. यहां किसानों ने चौटाला को मंच के सामने बैठने के लिए कुर्सी की व्यवस्था की, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने उन्हें माइक नहीं दिया.
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मंच नहीं करेंगे साझा
संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों- कैप्टन भूपेंदर व सतबीर बरसोला के मुताबिक उन्होंने पहले ही इनेलो के स्थानीय नेताओं को बता दिया था कि अब तक किसी भी राजनीतिक दल के नेता को यहां मंच साझा नहीं करने दिया गया है. चौटाला को भी मंच व माइक साझा नहीं करने दिया जाएगा.
दीपेंद्र हुड्डा की भी हुई थी फजीहत
इससे पहले टोल पर किसान धरने पर समर्थन देने पहुंचे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को भी माइक नहीं दिया गया था. दूसरी ओर आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता सतबीर पहलवान ने बताया कि चौटाला गुस्से में जाते -जाते पैर पर डंडा भी मार गए, जिससे उनका पैर चोटिल हो गया.
उन्होंने कहा कि अगर हम राजनीतिक लोगों को माइक देने लेगे तो उनका आंदोलन फेल हो जाएगा.
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