Republic Day 2022: कब और क्यों गाया गया 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत, बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी
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Republic Day 2022: कब और क्यों गाया गया 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत, बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी

'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का इतिहास भी काफी दिलचस्प है. इसकी कहानी 1962 में हुए चीन और भारत के युद्ध से जुड़ी है. बता दें इस दौरान युद्ध में भारत को चीन से हार का सामना करना पड़ा था. इस हार ने देश के नेताओं ही नहीं बल्कि आम नागरिक को भी झकझोर कर रख दिया था.

Republic Day 2022: कब और क्यों गाया गया 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत, बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर हर कोई देशभक्ति के गीत (Patriotic songs) सुनना पसंद करता है. सभी लोगों के मन में देशभक्तिक को लेकर अलग ही उत्साह होता है. हर कोई देश प्रेम में डूबा दिखाई देता है. 'ऐ वतन के लोगों' ( Aye Mere Watan Ke Logon) एक ऐसा गीत है, जिसने मुंबई से लेकर दिल्ली और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी के दिलों में देशभक्ति की एक अलग सी उमंग भर दी. आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि यह गीत कब, क्यों और किसने गाया? 

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कब गाया था गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों'
बता दें यह गीत 26 जनवरी 1963 में दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में लता मंगेशकर ने गाया. लता मंगेशकर कोल्हापुर में अपनी बहन मीना की शादी में काफी व्यस्त थीं. इसी दौरान उन्होंने यह गीत गाया. गाने की बोल 'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए उनकी जरा याद करो कुर्बानी' को सुनकर आम लोगों ही नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों से भी आंसू छलक पड़े. पूरे कार्यक्रम में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया. हर किसी की रोम-रोम में देशभक्ति की उमड़ पड़ी थी. 

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क्यों गाया गया था यह गीत 
'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का इतिहास भी काफी दिलचस्प है. इसकी कहानी 1962 में हुए चीन और भारत के युद्ध से जुड़ी है. बता दें इस दौरान युद्ध में भारत को चीन से हार का सामना करना पड़ा था. इस हार ने देश के नेताओं ही नहीं बल्कि आम नागरिक को भी झकझोर कर रख दिया था. इसके बाद एक ऐसी लड़ाई शुरू हुई, जिसमें न कोई बंदूक थी और न हीं कोई तीर तलवार. इस बार अस्त्र- शस्त्र छोड़ कलम की ताकत दिखाई गई. ऐसे में सरकार ने देश के सबसे बड़े मनोरंजन जगत 'बॉलीवुड' में एक ऐसा गीत गाने की गुजारिश की, जो लोगों के मन में देशभक्ति को लेकर जुनून भर हो सके और फिर क्या था जानी-मानी गायिका लता की आवाज ने हर किसी के जहन में देशभक्ति की ज्वालामुखी सी जला दी. आज भी गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर टेलीविज़न, रेडियो से लेकर हर कार्यक्रम में यही गीत सुनने को मिलता है. 

गाने का इतिहास है बेहद दिलचस्प
यह गाना सुनने में जितना दिलचस्प है इसे लिखे जानें की कहानी भी उतनी ही मजेदार है. जी हां बता दें एक दिन कवि प्रदीप मुंबई की माहिम बीच पर टहल रहे थे. इस दौरान उनके मन में इस गीत को लेकर कुछ लाइनें आईं. इस समय उनके पास न कलम थी और न ही कागज. ऐसे में उन्होंने पास से गुजर रहे एक अजनबी व्यक्ति से पैन ले लिया. मजेदार बात यह है उन्होंने सिगरेट की अल्यूमिनियम फॉयल पर ही इस गीत की खूबसूरत लाइनें पिरो दीं. 

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