दीपेंद्र हुड्डा ने दी भाजपा सरकार को नसीहत, किसानों से नहीं टकराना
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दीपेंद्र हुड्डा ने दी भाजपा सरकार को नसीहत, किसानों से नहीं टकराना

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने शांतिपूर्ण, ऐतिहासिक व दुनियाभर में चर्चित आंदोलन की जीत के लिए किसानों को बहुत-बहुत बधाई दी. उन्होंने कहा कि किसानों से जिन मांगों पर सहमति बनी, सरकार उन्हें जल्द से जल्द पूरा करे 

दीपेंद्र हुड्डा

साक्षी शर्मा/ चंडीगढ़ : सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने देश के अन्नदाताओं को शांतिपूर्ण, ऐतिहासिक और पूरी दुनिया में चर्चित आंदोलन में जीत के लिए  बधाई दी है. उन्होंने कहा कि जिन मांगों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बनी है, उन्हें पूरा करने में सरकार कोई ढिलाई न बरते और जल्द से जल्द समझौते के अनुसार उन्हें लागू करे.

दीपेंद्र हुड्डा ने यह भी कहा कि इस शांतिपूर्ण किसान आंदोलन से एक बात तो सरकार की समझ में आ ही गई होगी कि देश का किसान जब ठान लेता है तो फिर वो न रुकता है, न झुकता है.

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 देशभक्ति का इससे बड़ा सबूत और क्या 

किसान की राष्ट्रभक्ति पर उंगली उठाने वाले लोगों को भी आज ये बात समझ में आ गई होगी कि देश के किसानों ने सर्दी, गर्मी और बरसात में खुले आसमान के नीचे रातें गुजारीं, तमाम प्रताड़ना और अपमान सहे. धरनों पर उनके साथियों की लाशें एक के बाद एक उठती रहीं, लेकिन किसान विचलित नहीं हुए और शांति व अनुशासन के मार्ग को नहीं छोड़ा. उन्होंने पूछा कि देशभक्ति का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है. सरकार भविष्य के लिए भी सबक ले कि उसे देश के किसान से टकराना नहीं है.

पहले सुननी चाहिए बात 

किसानों के मैराथन संघर्ष की सफलता पर उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि आज खुशी भी है और आंखें नम भी हैं. उन्होंने कहा कि वे सालभर लगातार सरकार को चेताते रहे कि किसानों की मांगें जायज हैं, इन्हें मान ले. अगर सरकार पहले ही किसानों की और उनकी बात सुन लेती तो किसानों को एक साल से भी ज्यादा समय तक सड़कों पर संघर्ष नहीं करना पड़ता और न ही 700 से ज्यादा किसानों को अपनी जान कुर्बान करनी पड़ती.  

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सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर सरकार पहले ही संवेदनशील हो जाती तो आज इस तरह की मांगें उठती ही नहीं. न मुकदमे वापस लेने की मांग आती, क्योंकि तब तक किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज नहीं हुए थे और न ही इस आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले 700 किसानों के आश्रितों को आर्थिक मदद और नौकरी देने की मांग होती, क्योंकि उन किसानों के परिवार में अंधेरा नहीं होता. न लखीमपुर खीरी कांड होता, न गृह राज्य मंत्री के इस्तीफा देने की मांग उठती. 

कांग्रेस नेता ने कहा कि एक वर्ष से चल रहे इस आंदोलन और किसानों के तप, त्याग और तपस्या की वजह से देश का बच्चा-बच्चा किसानों की बुनियादी समस्या और उनके अहम मुद्दों से अच्छी तरह से परिचित हो गया है.

 

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