मुआवजा देने से इनकार पर दीपेन्द्र हुड्डा बोले- सरकार जब कहे, जहां कहे जान गंवाने वाले किसानों की लिस्ट देने को तैयार
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मुआवजा देने से इनकार पर दीपेन्द्र हुड्डा बोले- सरकार जब कहे, जहां कहे जान गंवाने वाले किसानों की लिस्ट देने को तैयार

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मृत्यु के मामले का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है.

मुआवजा देने से इनकार पर दीपेन्द्र हुड्डा बोले- सरकार जब कहे, जहां कहे जान गंवाने वाले किसानों की लिस्ट देने को तैयार

चंडीगढ़ः सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मृत्यु के मामले का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है. दीपेंद्र हुड्डा ने सवाल किया कि क्या ये बात सरकार सच्चे और शुद्ध मन से कह रही है? उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण जवाब नहीं हो सकता.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार जब कहे, जहां कहे वो स्वयं आंदोलन में जान कुर्बान करने वाले सभी 681 किसानों की लिस्ट देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी, देश इनको कभी नहीं भूलेगा. सांसद दीपेंद्र ने कहा कि समस्या ये नहीं है कि सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि समस्या ये है कि सरकार की नीयत मदद करने की नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार ये कटु सत्य स्वीकारना चाहती है कि इस आंदोलन में इतने किसानों की जान गयी है. न ही उनको मान्यता देना चाहती है. ये बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर कितने केस दर्ज हुए हैं. इनका रिकार्ड भी सरकार के पास नहीं है. केस तो थाने में दर्ज होते हैं. किसी प्राईवेट संस्था के पास नहीं.

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उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे में कोई भी जिम्मेदार सरकार ये कैसे कह सकती है कि उसे नहीं पता कितने केस दर्ज हुए हैं. वो लगातार 2 दिनों से राज्य सभा में नियम 267 के तहत कामरोको प्रस्ताव दे रहे हैं ताकि किसानों के मुद्दे पर चर्चा करायी जाए. लेकिन, उनकी मांग अनसुनी की जा रही है.

उन्होंने मांग करी कि सरकार सभी दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दे और किसान परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस हों और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी समेत किसानों की सभी लंबित मांगें पूरी हों.

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