हरियाणा : सरकार की योजनाओं पर बाबुओं की मनमर्जी भारी, एक कागज के लिए दो साल से दौड़ा रहे इस दिव्यांग जोड़े को
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हरियाणा : सरकार की योजनाओं पर बाबुओं की मनमर्जी भारी, एक कागज के लिए दो साल से दौड़ा रहे इस दिव्यांग जोड़े को

सरकार की जनकल्याण योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचने में सरकारी दफ्तरों में बैठे कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है. अगर यह सरकारी तंत्र अपनी मनमर्जी पर उतर आए तो कई बार उस देश या प्रदेश की सरकार को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.

दिव्यांग दंपति

राकेश भयाना/पानीपत : सरकार की जनकल्याण योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचने में सरकारी दफ्तरों में बैठे कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है और अगर यह सरकारी तंत्र अपनी मनमर्जी पर उतर आए तो कई बार उस देश या प्रदेश की सरकार को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.

ऐसा ही मामला हरियाणा में भी सामने आया है, जहां स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के स्वास्थ्य योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के दावों के विपरीत पानीपत में एक दिव्यांग जोड़ा एक मेडिकल के लिए दो साल से सिविल अस्पताल के चक्कर लगा रहा है, लेकिन किसी के कानों पर आज तक जूं तक नहीं रेंगी हैं. दिव्यांग दंपति को पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए मेडिकल की सख्त जरूरत है. 

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हर बार सरकारी बाबू कोई न कोई बहाना बनाकर दिव्यांग की समस्या से पल्ला झाड़ लेते हैं और बाद में कागज कमी की बात कहकर उन्हें कोर्ट कचहरी की तरह मेडिकल पेंशन बनवाने के लिए अगली तारीख दे दी जाती है. बेशर्मी ऐसी कि सरकारी बाबुओं को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि दफ्तर में अपनी समस्या लेकर आया शख्स दिव्यांग है और हर बार उनका एक बहाना मुसीबत बढ़ा देता है. हैरानी की बात तो यह है कि सरकारी बाबू के चक्कर काटते-काटते दिव्यांग महिला का एक एक्सीडेंट में हाथ भी टूट गया. 

35 साल से पानीपत में रह रहे दिव्यांग दीपांशु की शादी पंजाब की रहने वाली दिव्यांग हरप्रीत कौर से 26 अप्रैल 2020 को हुई थी. दोनों ही पैरों से दिव्यांग हैं. दीपांशु अपने टूटे-फूटे ई रिक्शा से पिछले 2 साल से हरप्रीत कौर का मेडिकल बनवाने के लिए सिविल हॉस्पिटल जा रहा है. इसी दौरान सिविल हॉस्पिटल आते वक्त उनका एक्सीडेंट भी हो गया, जिसमें दोनों बुरी तरह घायल हो गए. हरप्रीत कौर के हाथ में फैक्चर भी हो गया.

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दिव्यांग जोड़े का कहना है कि वे पिछले कई महीनों से मेडिकल बनवाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई बाबू सुनने वाला नहीं है. हरप्रीत कौर ने कहा कि मेडिकल बनवाने के लिए डॉक्टर कभी आज-कभी कल कहकर चक्कर कटवाते रहते हैं. अपनी पेंशन यहां बनवाना चाहती हूं. 2 साल हो गए हैं पर आज तक पेंशन नहीं बनी हैं. सरकारी बाबू के चक्कर लगाते-लगाते दोनों निराश हो चुके हैं. संवेदनहीन सरकारी कर्मचारियों की मनमर्जी दंपति का हौसला तोड़ रही है. दोनों लगातार जीवन से संघर्ष कर रहे हैं. 

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इस बारे में जब सिविल हॉस्पिटल के एसएमओ श्यामलाल से बातचीत की उनका कहना था कि बुधवार को दिव्यांगों के लिए गठित बोर्ड में उनकी समस्याओं पर डॉक्टर काम करते हैं. सीएमओ जितेंद्र कादियान ने दिव्यांगों को हो रही परेशानी को लेकर जांच करने की बात कही. उन्होंने कहा अगर कोई दिक्कत है तो वह संपर्क कर सकता है. इस बारे में जिला समाज कल्याण अधिकारी रविंद्र सिंह ने बड़ी सफाई के साथ नियमों का हवाला देते हुए दिव्यांगों के लिए चली आ रही योजनाओं की जानकारी तो दी पर इसका लाभ कैसे मिल सके, इस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. 

सरकार से सवाल 

परेशान दिव्यांग जोड़े के कई सवाल है कि आखिरकार उन्हें एक कागज के लिए अभी और कितने चक्कर लगाने पड़ेंगे. क्या सरकारी बाबू दफ्तरों में खाली  बैठकर सिर्फ मोटी सैलरी लेकर ही घर जाते रहेंगे या सरकार ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कोई एक्शन लेगी, क्योंकि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन तो इसी सरकारी तंत्र से ही होना है. 

 

 

 

 

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