पश्मीना जिसे सबसे बेहतरीन और महंगी शॉल मानी जाती है. यह कम से कम 20 ग्राम वजन की भी होती है. इसकी विदेशों में ज्यादा डिमांड है, लेकिन भारत में 400 ग्राम वजनी पश्मीना शॉल ज्यादा बिकती है.
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दर्शन कैत/कुरुक्षेत्र: कश्मीर की पश्मीना शॉल के चर्चे पूरी दुनिया में हैं. कश्मीरी कारीगरों द्वारा तैयार पश्मीना के दुनिया के कई देशों में कद्रदान है. यही कारण है कि 2012 में तैयार की गई पश्मीना शॉल के लिए राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित हो चुके जहूर कश्मीर से कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के शिल्प मेले में पहुंचे हैं. कई देशों में उनके शिल्प कला के लोग कायल हैं.
पश्मीना जिसे सबसे बेहतरीन और महंगी शॉल मानी जाती है. यह कम से कम 20 ग्राम वजन की भी होती है. इसकी विदेशों में ज्यादा डिमांड है, लेकिन भारत में 400 ग्राम वजनी पश्मीना शॉल ज्यादा बिकती है.
इसकी कीमत 50000 रुपये से शुरू होकर लाखों रुपये में पहुंच जाती है. एक शॉल को तैयार करने में 6 महीने लग जाते हैं. एक शॉल पर कई कारीगर काम करते हैं, तब जाकर यह तैयार होती है.
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बिखरा काम फिर से सहेज रहे जहूर
जहूर का कहना है कि कोरोना की वजह से उनका व्यवसाय बिखर गया है. कारीगरों की तनख्वाह और ऊपर से कर्ज की किस्त की वजह से व्यवसाय चौपट हो गया है. अब कुछ उम्मीद जगी है, लेकिन नए वैरिएंट omicron की वजह से चिंता सता रही है. कोरोना की वजह से विदेशों में भी सप्लाई बंद पड़ी है.
जहूर का कहना है कि पश्मीना शॉल भेड़ के साथ-साथ खरगोश और याक से तैयार की जाती है. महोत्सव में आने वाले लोगों को इसकी खूबसूरती और कारीगरी बहुत लुभा रही है.