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राकेश भयाना/ पानीपत: रूस और यूक्रेन में आखिरकार जंग शुरू हो गई है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय समयानुसार गुरुवार तड़के राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपनी सेना को ऑपरेशन शुरू करने का आदेश दिया. इसके बाद रूसी जंगी विमानों ने यूक्रेन पर मिसाइल से हमला कर दिया. जवाबी कार्रवाई करते हुए यूक्रेन ने रूस से 5 युद्धक विमानों और एक हेलिकॉप्टर को मार गिराने का दावा किया. यूक्रेन की हालत खराब होते देख वहां फंसे भारतीय छात्र और उनके परिजन जल्द से जल्द देश वापसी के लिए भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
इस बीच पानीपत के रहने वाले छात्र अनिल सुरक्षित घर वापस आ गया है. अनिल ने बताया कि वह अक्टूबर में पढ़ने के लिए गया था. यूक्रेन में युद्ध की आशंका को देखते हुए माता-पिता ने उसे पहले ही भारत बुला लिया था. यूक्रेन की हालातों का जिक्र करते हुए अनिल ने कहा कि यूक्रेन व भारत की सरकार दोनों ही वहां छात्रों को कोई सुविधा नहीं दे रही है, इसलिए मुझे वापस आना पड़ा.
चार गुना पहुंची टिकट की कीमत
अनिल ने बताया कि यूक्रेन के हालात बहुत ही खराब है. भय का माहौल बना हुआ है. वहां हजारों छात्र फंसे हुए हैं और वापस आना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी व टिकट महंगी होने के कारण वापस नहीं आ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो टिकट 25 हजार की थी वह अब 1 लाख तक पहुंच गई है. इसी कारण से वहां 40 से 50 हजार छात्र फंसे हुए हैं.
विशेष विमान यूक्रेन भेजने की गुहार
अनिल ने बताया कि सुबह वहां एक भारतीय दोस्त से बातचीत हुई थी तो उसने बताया कि खाने-पीने और हर चीज के रेट दोगुने हो गए हैं. उन्होंने बताया कि छात्रों को सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है क्योंकि कॉलेज और यूनिवर्सिटी सब बंद हो गई है. उन्होंने बताया कि एंबेसी की तरफ से नोटिस जारी हुआ था कि जो भारत जाना चाहता है, वह जा सकता है.
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छात्र ने बताया कि 24 व 26 फरवरी को फ्लाइट आनी है, जिसमें कुछ छात्रों के आने की उम्मीद है. सरकार को छात्रों को लाने के लिए जल्द से जल्द स्पेशल हवाई जहाज भेजने चाहिए या फिर टिकट के रूप में मुआवजा देना चाहिए. अनिल ने कहा कि देश वापस आकर अच्छा लग रहा है, लेकिन बुरा इस बात का भी लग रहा है कि वहां अब भी काफी छात्र फंसे हुए हैं जो भारत आ नहीं सकते हैं.
अनिल के पिता सुभाष ने बताया कि बेटे को पढ़ाई के लिए यूक्रेन भेजा था, लेकिन पहले बर्फबारी, फिर लॉकडाउन और अब युद्ध की स्थिति, जिसके चलते समय से बेटे को घर बुला लिया था. बेटे को वापस लाने के लिए जो टिकट 30 हजार की थी, वह हमने 40 से 45 हजार से अधिक रुपये खर्च कर ली. सुभाष ने कहा कि सरकार से निवेदन है कि जो भारतीय बच्चे जमीन-जेवर बेचकर पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए हैं, उन सभी भारतीय छात्रों को देश वापस लाया जाए. दिल की इच्छा है कि देश में सभी माता-पिता के बच्चे अपने घर लौट आएं.