35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले (35th International Surajkund Mela) में नीम लकड़ी का आर्ट वर्क देखने को मिला. आंध्र प्रदेश के कलाकारों ने नीम की लकड़ी पर कलाकृति बनाकर अपनी कला की महक पूरे सूरजकुंड में बिखेरी हुई है जो की हैंड वर्क है और इसमें पैनल, वाल ब्रैकेट्स, मूर्तियां सब शामिल है.
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नरेंद्र शर्मा/फरीदाबादः 35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले (35th International Surajkund Mela) में नीम लकड़ी का आर्ट वर्क देखने को मिला. आंध्र प्रदेश के कलाकारों ने नीम की लकड़ी पर कलाकृति बनाकर अपनी कला की महक पूरे सूरजकुंड में बिखेरी हुई है जो की हैंड वर्क है और इसमें पैनल, वाल ब्रैकेट्स, मूर्तियां सब शामिल है. एशियाई पेंट्स के एनेमल पेंट्स के 7 रंगों को इस्तेमाल करके ये शिल्पकार अपनी कला प्रस्तुत करते है.
हस्तशिल्प विनोद कुमार ने बताया कि 3 से 11 फीट तक की मूर्तियां बनाते है. आंध्र प्रदेश के कलाकारों द्वारा लकड़ी पर की गई कलाकृति लोगों को बेहद पसंद आई है. आठ फीट की मूर्ति से लेकर घर में सजाने के लिए सामान उपलब्ध हैं. सामानों की कीमत 2000 रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक है. लकड़ी पर ही हाथ से नक्काशी करके इन मूर्तियों और तस्वीरों को तराशा गया है.
उन्होंने कहा कि यह आंध्र प्रदेश की ही एक लोक कला है जिसको सूरजकुंड के मेले में वह प्रदर्शित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पत्थर की अपेक्षा लकड़ी पर कलाकृति बनाना आसान होता है और उसमें अच्छे से रंग भी भरे जाते हैं. पत्थर की कलाकृति से कहीं ज्यादा खूबसूरत लकड़ी की कलाकृति होती है. हस्तशिल्प विनोद कुमार ने कहा कि घर में लकड़ी से बना सामान शुभ माना जाता है और नीम की लकड़ी पर कलाकृति बेहद अच्छी बनती है.
उन्होंने आगे बताया कि मेले में केवल उन्हीं के पास नीम की प्योर लकड़ी से बनी कलाकृतियां हैं. कलाकृति को बनाने में करीब एक हफ्ते का समय लग जाता है. कोरोना के समय में उनको कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि खरीददार मेले में ही ज्यादा मिलते हैं और कोरोना काल में वह मेले में नहीं पहुंच पाए थे. उनके साथ-साथ बहुत सारे कलाकारों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन एक बार फिर से सब कुछ पहले जैसा होने लगा है और इस बात की उन्हें बेहद खुशी है.
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