Corona की चपेट में आ चुके लोगों के लिए जरूरी खबर, अगर हो रही ऐसी दिक्कत तो उठाएं ये कदम
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Corona की चपेट में आ चुके लोगों के लिए जरूरी खबर, अगर हो रही ऐसी दिक्कत तो उठाएं ये कदम

जिन लोगों को कोरोना (Corona) हो चुका है और ठीक होने के एक साल बाद सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो इसे हल्के में लेने की भूल कतई न करें और तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

Corona की चपेट में आ चुके लोगों के लिए जरूरी खबर, अगर हो रही ऐसी दिक्कत तो उठाएं ये कदम

नई दिल्ली : जिन लोगों को कोरोना (Corona) हो चुका है और ठीक होने के एक साल बाद सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो इसे हलके में लेने की भूल कतई न करें और तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि जो मरीज कोविड 19 की चपेट में आने के बाद ठीक हो चुके हैं, उन्हें एक साल बाद शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस लेने में दिक्कत (Breathing Problem) की शिकायत होने लगी. 

यह दिक्कत इस बात का संकेत हो सकती है कि कोरोना वायरस ने उनके दिल को नुकसान पहुंचाया है. बेल्जियम की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल,ब्रसेल्स (University Hospital Brussels) की शोधकर्ता डॉ. मारिया-लुइजा लुचियान की अगुवाई में एक शोध किया गया. इसमें जिन मरीजों को शामिल किया गया था, उनकी औसत उम्र 50 वर्ष थी और इनमें से 67 प्रतिशत पुरुष थे. कोविड 19 संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने के एक साल बाद इनमें से लगभग 23 मरीजों ने सांस लेने में परेशानी होने की शिकायत की. इस शोध को यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वैज्ञानिक सम्मेलन यूरोईको 2021 में प्रकाशित किया गया था.

शोध के मुताबिक कोविड-19 की वजह से लोगों में दिल की बीमारियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसकी वजह से उन्हें लंबी अवधि तक सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिन्हें लॉन्ग कोविड (Long Covid) कहा जाता है. इस दल ने पता लगाने की कोशिश की कि क्या ऐसे मरीजों में दिल की कोई असामान्यता अधिक देखी जा रही है.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च से पता चला है कि कोविड के एक तिहाई से अधिक ऐसे मरीज जिन्हें पहले दिल या फेफड़ों की कोई बीमारी नहीं थी, उन्हें कोविड से ठीक होने के एक वर्ष बाद सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इससे यह पता चल सकता है कि आखिर उनमें सांस लेने में दिक्कतों का क्या कारण हो सकता है. शोकर्ताओं ने बताया कि इसका संबंध कहीं न कहीं दिल के स्वास्थ्य से जुड़ा हो सकता है. 

दिल पर असर जानने के लिए अध्ययन 

शोध में ऐसे मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें पहले दिल या फेफड़ों की कोई बीमारी नहीं थी, लेकिन जिन्हें मार्च और अप्रैल 2020 के दौरान कोविड की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल से छुट्टी दिए जाने के एक वर्ष बाद उनका स्पाइरोमीटर टेस्ट तथा सीटी स्कैन के अलावा दिल का अल्ट्रासाउंड किया गया और इसमें नई इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.

इसका मकसद यह पता लगाना था कि उनके दिल की कार्यप्रणाली में कोई असामान्यता तो नहीं आ गई है.इस शोध के बाद ऐसे लोगों को अपने स्वास्थ्य (Health) का विशेष ध्यान रखना है, जो कोविड की चपेट में आ चुके हैं और सलाह दी जाती है कि ऐसे लोग इस बात को नजरअंदाज बिलकुल न करें

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