पहली बारिश में भीगनें से पहले जान लें ये बात, नहीं तो हो सकते हैं गंजे!
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पहली बारिश में भीगनें से पहले जान लें ये बात, नहीं तो हो सकते हैं गंजे!

प्री-मानसून को अम्लीय बारिश भी कहा जाता है. यानी की आसान भाषा में कहे, तो शुरुआती बारिश. गर्मी के मौसम में जमीन से उठने वाला वायु प्रदूषण आसमान में जमा हो जाता है. ऐसे में जब बारिश होती है तो आसमान में जमा प्रदूषण के जहरीले कण जमीन पर आ जाते हैं.

पहली बारिश में भीगनें से पहले जान लें ये बात, नहीं तो हो सकते हैं गंजे!

नई दिल्ली: प्री-मानसून को अम्लीय बारिश भी कहा जाता है. यानी की आसान भाषा में कहे, तो शुरुआती बारिश. गर्मी के मौसम में जमीन से उठने वाला वायु प्रदूषण आसमान में जमा हो जाता है. ऐसे में जब बारिश होती है तो आसमान में जमा प्रदूषण के जहरीले कण जमीन पर आ जाते हैं. इसलिए इन हानिकारक तत्वों के कारण होने वाली पहली बारिश को अम्लीय वर्षा कहा जाता है. जिससे कई तरह की बीमारियां होती हैं. 

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बता दें, वायुमंडलीय गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, ट्राइऑक्साइड जब पानी में घुल जाती हैं, तो सल्फ्यूरिक और अन्य एसिड बन जाते हैं, जो आपके बालों को कमजोर कर देते हैं, जिससे आपके बाल टूटने लगते हैं. साथ ही गंजे पैच, एलोपीशिया एरिएटा, ब्रिटल हेयर, डर्मटाइटिम आदि का कारण बनते हैं. 

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बारिश के पानी में मौजूद प्रदूषक और रसायन स्कीन और बालों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए कहा जाता है कि बारिश में नहाने के तुरंत बाद शावर की लेने चाहिए. इसलिए कहा जाता है कि पहली बारिश में भींगना भी नहीं चाहिए. हमें इससे बचना चाहिए. 

डॉक्टर भी कहते हैं कि मानसून से पहले पहली बारिश हमारे लिए नुकसानदायक है. मौसम से पहले की बारिश हमारे लिए अशुद्ध होती है. जिसमें वातावरण में मौजूद धूल, कंकड, कीटाणु, बैक्टीरिया आदि शामिल रहते हैं.   

बता दें, बारिश के कारण तापमान में हुए बदलाव से भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. जहां बारिश से पहले तापमान 40 डिग्री था, तो वहीं बारिश के बाद तापमान 25 डिग्री पर आ गया. ऐसे में हमें गर्मी से तो राहत मिल जाती है, लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को यह प्रभावित करता है. 

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