Himachal: बिना डॉक्टर, नर्स और बिना दवाओं के चल रहा पांवटा साहिब में स्थित कफोटा हॉस्पिटल
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Himachal: बिना डॉक्टर, नर्स और बिना दवाओं के चल रहा पांवटा साहिब में स्थित कफोटा हॉस्पिटल

Kafota hospital paonta sahib: हिमाचल प्रदेश की सरकारें प्रदेश की जनता से कई वादे करती हैं, जिनमें से स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का भी वादा किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो पहाड़ी राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात बद से बदतर हो गए हैं. 

Himachal: बिना डॉक्टर, नर्स और बिना दवाओं के चल रहा पांवटा साहिब में स्थित कफोटा हॉस्पिटल

 ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: सिरमौर जिले में शिलाई क्षेत्र के तहत 14 पंचायतों के केंद्र बिंदु कफोटा में सीएससी अस्पताल में डॉक्टर सहित कई पद खाली पड़े हैं. यहां न बीमारी की जांच हो पाती है और ना दवाइयां मिल पाती हैं. डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ की कमी होने की वजह से मरीजों और तीमारदारों को इलाज के लिए पांवटा साहिब, नाहन और उत्तराखंड के अस्पतालों में जाना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी भी होती है.

न डॉक्टर, न नर्स और न दवाइयां उपलब्ध
सिरमौर जिला के दूरदराज वाले पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बद से बदतर हैं. शिलाई क्षेत्र के दूसरे केंद्र बिंदु में बना कफोटा अस्पताल रोगियों के इलाज के लिए खोला गया था, लेकिन आज यह अस्पताल खुद बीमार है. हालांकि सरकार ने यहां एक अदद भवन जरूर बना दिया है, लेकिन इस भवन के भीतर न डॉक्टर हैं, न नर्सें हैं और न ही दूसरे मेडिकल स्टाफ मौजूद हैं. ऐसे में मरीजों को दवाइयों के लिए भी इधर-उधर धक्के खाने पड़ते हैं. 

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14 पंचायतों के लोग इलाज के लिए इसी सीएचसी पर हैं निर्भर 
यहां रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज की आशा लेकर पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ न होने की वजह से इन्हें बिना इलाज कराए निराश होकर वापस लौटना पड़ता है. हैरानी की बात तो यह है कि आसपास की 14 पंचायतों के लोग इलाज के लिए इसी सीएचसी पर निर्भर हैं. इसके बावजूद यहां न दवाइयां उपलब्ध हैं और न ही डॉक्टर, स्टाफ और मेडिकल स्टाफ मौजूद है. यहां का सरकारी तंत्र भी स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है, यह अस्पताल की हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है.

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नाहन, उत्तराखंड और हरियाणा के अस्पतालों में धक्के खाने को मजबूर हैं मरीज
हालांकि क्षेत्र के लोग बार-बार यहां डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ और दवाइओं के लिए मांग करते रहते हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. लिहाजा आज भी लोग इलाज के लिए पांवटा साहिब, नाहन, उत्तराखंड और हरियाणा के अस्पतालों में धक्के खाने को मजबूर हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को होती है कि वे इलाज के लिए कैसे जाएं. वहीं, सरकारें घर-घर जाकर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के राग अलावती रहती हैं, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में जमीनी हकीकत काफोटा अस्पताल जैसी ही है.

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