Virbhadra Singh Death: DU में प्रोफेसर बनना चाहते वीरभद्र सिंह, जानें, कैसा रहा राजनीति सफर
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Virbhadra Singh Death: DU में प्रोफेसर बनना चाहते वीरभद्र सिंह, जानें, कैसा रहा राजनीति सफर

 हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के चलते आज सुबह निधन हो गया. सीएम वीरभद्र सिंग ने शिमला के IGMC अस्पताल में आखिरी सांस ली. 23 जून को वीरभद्र ने अपने 87वां जन्मदिन मनाया था. उस वक्त भी वो पूरी तरह से ठीक नहीं थे 

Virbhadra Singh Death: DU में प्रोफेसर बनना चाहते वीरभद्र सिंह, जानें, कैसा रहा राजनीति सफर

शिमला: हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के चलते आज सुबह निधन हो गया. सीएम वीरभद्र सिंग ने शिमला के IGMC अस्पताल में आखिरी सांस ली. 23 जून को वीरभद्र ने अपने 87वां जन्मदिन मनाया था. उस वक्त भी वो पूरी तरह से ठीक नहीं थे और दूसरी बार कोरोना से संक्रमित थे और कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया था.

राजनीति में नहीं आना चाहते थे CM 

कहते है कि सियासत की बात हो और वीरभद्र सिंह का नाम न आए, ऐसा कभी संभव ही नहीं है. वीरभद्र कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे. 15 मई 2019 को शिमला के संजौली में जनसभा में सीएम ने अपने एक बयान में कहा था कि ‘उनका सपना था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में प्रोफेसर बनें, लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं इंदिरा गांधी के कहने पर वह राजनीति में आए.’ इसके बाद 25 साल की कम उम्र में वो सांसद बने.

दिल्ली से की थी पढ़ाई

बताते चले कि वीरभद्र का जन्म 23 जून 1934 को शिमला के रामपुर के सराहन में हुआ था. पिता का नाम राजा पदम सिंह था. वीरभद्र सिंह का संबंध राजघराने से है. वह बुशहर रियासत के राजा रहे. स्कूली पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल (BCS) से हुई. उसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से BA ऑनर्स की पढ़ाई की. वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक करियर में केवल एक ही बार चुनाव हारे. इसके बाद आपातकाल के बाद 1977 में जब कांग्रेस का देश से सफाया हो गया था और उसी दौरान वीरभद्र सिंह पहली बार चुनाव हारे.

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जानें, राजनीति में वीरभद्र का सफर

सीएम वीरभद्र सिंह ने पहली बार सन् 1962 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और उसके बाद सीधा संसद पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव जीत हासिल की. 1980 में सीएम ने फिर चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए. उन्हें इस दौरान राज्य मंत्री उद्योग मंत्री का प्रभार सौंपा गया था.

इसके बाद उन्होंने प्रदेश राजनीति की तरफ अपना रुख किया और इसके बाद 2009 में वह एक बार फिर मंडी संसदीय सीट से सांसद चुने गए. इससे पहले 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो इसी सीट से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई. इसके बाद 1976 और 1977 के बीच वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के लिए उपमंत्री का राष्ट्रीय कार्यालय भी संभाला था.

कई मंत्री पदों को संभाल चुके हैं वीरभद्र

वीरभद्र सिंह 1980 से लेकर 1983 तक उद्योग मंत्री रहे. 2009 से जनवरी 2011 तक उन्हें केंद्रीय इस्पात मंत्री का जिम्मा सौंप दिया गया था. इसके बाद जून 2012 में उन्हें माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज जिम्मेदारी सौंपी गई. साल 1976 में वीरभद्र सिंह यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेंम्बली के लिए भारतीय डेलीगेशन के सदस्य भी रहे.

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जानें, कैसा रहा राजनीति में वीरभद्र का मुकाम

केंद्रीय राजनीति में अहम रोल निभाने के बाद वीरभद्र ने 1983 में प्रदेश राजनीति में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी. सन् 1983 में वह जुब्बल कोटखाई सीट से उपचुनाव जीते. इसके बाद सन् 1985 के विधानसभा चुनावों में वीरभद्र ने जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र से 1990, 1993, 1998 और 2003 में विधानसभा चुनाव जीते. इसके बाद उन्होंने 1998 से लेकर 2003 तक वह नेता विपक्ष भी रहे. इससे पहले 1977, 1979 और 1980 में वह प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भी रहे.

जानें, कब बने पहली CM

वीरभद्र सिंह अप्रैल 1983 में पहली बार CM बने और 1990 तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे. इसके बाद 1993 और 1998 और 2003 में उन्होंने फिर से सीएम की कुर्सी संभाली. 2012 में वे रिकॉर्ड छठी बार हिमाचल के सीएम चुन गए. हिमाचल की राजनीति और प्रदेश के विकास में उनका अहम योगदान रहा है.

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जानें, कौन-कौन परिवार में

आपको बता दें कि नवंबर 1985 में वीरभद्र सिंह ने प्रतिभा सिंह से दूसरी शादी की थी, जिससे उन्हें एक बेटा और चार बेटियां हुई. हिमाचल की राजनीति और कांग्रेस को इस राज्य में स्थापित करने में सीएम वीरभद्र सिंह का अहम योगदान रहा है. लेकिन, साल 2015 में उनके ऊपर आसे से ज्यादा संपत्ति बनाने के आरोप लगे और इसके बाद CBI ने उनके उनके ऊपर केस दर्ज किया.

इस केस में उनकी पत्नी, बेटे और बेटी को भी आरोपी ठहराया गया. फिलहाल ये केस कोर्ट में विचाराधीन है और वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक हैं.

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