सोनीपत की सरिता को 'स्वर्ण'
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सोनीपत की सरिता को 'स्वर्ण'

सरिता ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है

सोनीपत की सरिता को 'स्वर्ण'

सोनीपत :'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?' दंगल फिल्म का डायलॉग आज हरियाणा में छोरियों की स्थिति का आईना बन गया है. अब हरियाणा के हर घर में छोरी पैदा होने पर परिजनों को लड्डू बांटे जाते हैं, बेटी को बेटे के समान पाला-पोसा जाता है और पढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं, लड़कियों ने आज हर क्षेत्र में लड़कों को पीछे छोड़ दिया है. चाहे वो पढ़ाई हो या क्रिकेट ग्राउंड, सरकारी दफ्तर हो या पुलिस चौकी, राजनीति हो या निशानेबाजी लड़कियों ने हर मैदान में फतेह का परचम लेहराकर हरियाणा का नाम रोशन किया है ऐसे ही कहानी है सोनीपत की बेटी सरिता मोर की

कौन है सरिता मोर ?

सोनीपत के गांव बरोदा की महिला पहलवान सरिता मोर ने फ्री स्टाइल कुश्ती मुकाबलों में देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है, सरिता ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है, उन्होंने फाइनल मुकाबले में मंगोलिया की बात्सेटेग को 3-2 के स्कोर से मात दी, सरिता मोर की इस उपलब्धि पर परिवार के साथ-साथ गांव भर में खुशी का माहौल है, ग्रामीणों ने भी सरिता मोर की जीत पर लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया, ग्रामीमों का कहना है कि बेटी ने देश-प्रदेश और गांव का रोशन किया है, वापिस लौटने पर गोल्ड मेडल विजेता पहलवान बेटी का जोरदार स्वागत करेंगे

बचपन से ही थी दंगल गर्ल

सरिता ने साल 2008 में 12 साल की उम्र में जींद के निढानी गांव के अखाड़े से पहलवानी के गुर सीखने शुरु किए थे, 13 साल की उम्र में जूनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में 65 किलो वर्ग भार में गोल्ड मेडल जीता था, साल 2016 में सरिता ने सिंगापुर में आयोजित सीनियर कॉमनवेलथ चैंपियनशिप में 60 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था

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