यहां साल 1917 में एक व्यक्ति की मौत इनफ्लुएंजा के कारण हो गई थी. उसके शव को तब शहर में दफना दिया गया था, लेकिन उसमें आज भी इनफ्लुएंजा के वायरस हैं.
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नई दिल्ली : कहा जाता है कि जन्म और मरण पर किसी का बस नहीं. कोई इसे रोक नहीं सकता, लेकिन अगर हम आपको यह बताएं कि दुनिया में एक ऐसी जगह है भी है, जहां सात दशक से स्थानीय प्रशासन ने लोगों की मौत पर रोक लगा रखी है तो एक बार आप भी इस बात पर यकीन नहीं करेंगे. प्रशासन के रोक लगाने की वजह से इस जगह पर 70 साल से किसी इंसान की मौत नहीं हुई है.
आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या ऐसा संभव है तो अब हम आपको बताते हैं कि यह अजीबो गरीब फरमान नार्वे देश के एक छोटे से शहर लोंगयेरब्येन के लोगों को सुनाया गया था. प्रशासन ने इस शहर में इंसानों के मौत पर पाबंदी लगा रखी है.
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ऐसी नौबत कैसे आई
दरअसल, लोंगयेरब्येन शहर नार्वे के उतरी ध्रुव में स्थित है. यहां ज्यादातर ईसाई धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं. इस जगह पूरे साल बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है. इस वजह से यहां दफनाए गए शव कभी सड़ता नहीं है. यहां साल 1917 में एक व्यक्ति की मौत इनफ्लुएंजा के कारण हो गई थी. उसके शव को तब शहर में दफना दिया गया था, लेकिन उसमें आज भी इनफ्लुएंजा के वायरस हैं.
इसलिए शहर को किसी महामारी से बचाने के लिए प्रशासन ने यहां अब लोगों के मरने पर ही पाबंदी रखी है.
क्या फिर कोई मरा नहीं
2000 की आबादी वाले इस शहर में मरने से पहले किसी इंसान को हेलिकॉप्टर से दूसरी जगह भेज दिया जाता है. जहां मौत के बाद उस इंसान का वहीं पर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.