7 साल की उम्र छोड़ा घर, जानें कौन है शिवाजी गणेशन, जिन्हें Google Doodle बनाकर दे रहा श्रद्धांजलि
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7 साल की उम्र छोड़ा घर, जानें कौन है शिवाजी गणेशन, जिन्हें Google Doodle बनाकर दे रहा श्रद्धांजलि

आज दिवंगत अभिनेता शिवाजी गणेशन (Sivaji Ganesan) की 93वीं जयंती है और इस खास मौके पर गूगल डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें इस खास अंदाज में श्रद्धांजलि दे रहा है.

7 साल की उम्र छोड़ा घर, जानें कौन है शिवाजी गणेशन, जिन्हें Google Doodle बनाकर दे रहा श्रद्धांजलि

नई दिल्लीः आज दिवंगत अभिनेता शिवाजी गणेशन (Sivaji Ganesan) की 93वीं जयंती है और इस खास मौके पर गूगल डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें इस खास अंदाज में श्रद्धांजलि दे रहा है. अभिनेता शिवाजी गणेशन का जन्म 1 अक्टूबर, 1928 में तत्कालीन ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के विल्लुपुरम में गणेशमूर्ति के रूप में हुआ था.

कहते हैं कि सिर्फ 7 साल की उम्र में उन्होंने थिएटर ग्रुप में हिस्सा लेने के लिए अपना घर छोड़ दिया था. इसके बाद शिवाजी गणेशन ने दिसंबर 1945 में ‘शिवाजी कांडा हिंदू राज्यम’ नामक के एक नाटक में मराठा शासक शिवाजी का किरदार निभाया. उनकी तरफ से निभाया गया ये किरदार इतना प्रतिष्ठित था कि यह नाम उनके साथ हमेशा के लिए जुड़ गया.

इसके बाद गणेशमूर्ति ने ‘शिवाजी’ का उपनाम अर्जित किया, जिसके बाद से उनको पूरी जिंदगी इसी नाम से जाना जाता था. शिवाजी गणेशन हमेश से ही तमिल सिनेमा में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे थे. जहां उन्होंने 1952 में ‘पराशक्ति’ ने अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने तमिल सिनेमा में 300 फिल्मों में काम किया.

इनसे से तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषा की फिल्में शामिल हैं. अपने इस पांच दशकों के करियर में उन्होंने कई छोड़े-बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया और एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (काहिरा, मिस्र में एफ्रो-एशियन फिल्म फेस्टिवल) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय अभिनेता बने थे,  जिन्होंने 1960 के दशक में बनी ‘वीरपांडिया कट्टाबोम्मन’ के लिए यह अवॉर्ड जीता था.

बता दें कि शिवाजी गणेशन की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर 1961 में आई फिल्म ‘पसमालर’ थी. यह एक भावनात्मक, पारिवारिक कहानी पर आधारित थी. इस फिल्म को तमिल सिनेमा की सबसे महत्वपूर्ण में फिल्मों में से एक माना जाता है. इसके बाद गणेशन की 1964 में आई फिल्म ‘नवरथी’ 100वीं फिल्म थी. इस फिल्म में उन्होंने नौ अलग-अलग किरदार निभाई थे.

आपको बता दे कि 1960 में शिवाजी गणेशन ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी ऐतिहासिक फिल्म ‘वीरपांडिया कट्टाबोम्मन’ के लिए अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय कलाकार बने थे और आज भी उनकी सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में से एक मानी जाती है.

इसके बाद मानों जैसे कामयाबी शिवाजी गणेशन के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती रही और 1995 में फ्रांस ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान, शेवेलियर ‘ऑफ़ द नेशनल ऑर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया. 1997 में भारत सरकार ने उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया.

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