मुट्ठीभर पास्ता और एक बोतल पानी के साथ यूक्रेन में जिंदगी की जंग लड़ रही कुरुक्षेत्र की बेटी शिवांशु
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मुट्ठीभर पास्ता और एक बोतल पानी के साथ यूक्रेन में जिंदगी की जंग लड़ रही कुरुक्षेत्र की बेटी शिवांशु

Russia Ukraine Crisis : अपनी बेटी की सलामती की प्रार्थना करन रहे परिजनों का कहना है कि एक तरफ भारत सरकार हेल्प नंबर जारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन में भारतीय दूतावास कॉल रिसीव नहीं कर रहा है. 

शिवांशु के पिता वॉट्सऐप के माध्यम से बेटी का लगातार हालचाल ले रहे हैं.

दर्शन कैत/कुरुक्षेत्र : Russia Ukraine Crisis : बाबैन खंड के गांव भूखड़ी की रहने वाली बेटी शिवांशु आंखों में डॉक्टर बनने का सपना लेकर दो माह पहले ही यूक्रेन गई थी. इस समय उसे और घर वालों को पता भी नहीं था कि कुछ ही वक्त बाद वे उस सपने को धुल धूसरित होते देखेंगे.

इस समय शिवांशु रूस की फायरिंग रेंज में जान की सलामती के लिए एक बिल्डिंग के तहखाने में सैकड़ों अन्य भारतीय छात्रों के साथ कैद है. शिवांशु के पास खाने के नाम पर मुट्ठी भर पास्ता व पीने के लिए एक बोतल पानी है, मगर उसने अभी हिम्मत नहीं हारी है. उसे उम्मीद है कि भारत सरकार जल्द से जल्द उसे और बाकी अन्य छात्रों को वहां से सुरक्षित निकाल लेगी. 

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पीएम से लगाई गुहार 

लाखों रुपये खर्च कर शिवांशु पिछले साल दिसंबर में ही यूक्रेन गई थी. वहां उसने यूक्रेन में खारकीव शहर की यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था, जो अब रूसी सेना के फायरिंग रेंज में है. बमों की आवाज से हर तरफ दहशत का माहौल है.

शिवांशु ने परिजनों को वॉट्सऐप पर बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से वह एक बंकर में है. शिवांशु के पिता और परिजन परेशान हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बेटी को जल्द वापस भारत लाया जाए.

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भारतीय दूतावास नहीं उठा रहा फोन 

परिजनों का कहना है कि यूक्रेन में उस जगह न हवाई पट्टी है और न ही कोई व्यवस्था कि हम अपनी बेटी को खुद हवाई जहाज से सुरक्षित वापस ला सकें. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में फंसी बच्चों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.

वहीं दूसरी ओर जब एक छोटे से तहखाने में बंद बच्चे इंडियन एम्बेसी से बात करने की कोशिश करते हैं तो उनका फोन रिसीव नहीं किया जाता. इसके बावजूद उनके बच्चों ने हौसला नहीं खोया है. वह अपने पेरेंट्स से कहते हैं कि आप चिंता मत करो, हम सब ठीक हैं.

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