Digital Drugs की लगी लत...! जानें कौन सा म्यूजिक सुनकर नशा कर रहे लोग ?
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Digital Drugs की लगी लत...! जानें कौन सा म्यूजिक सुनकर नशा कर रहे लोग ?

डिजिटल ड्रग यानी बाइनॉरल बीट्स एक म्यूजिक की कैटेगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कुछ बीट्स आपके इंटेलिजेंस को भी बढ़ाते हैं.

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चंडीगढ़- इस बदलते दौर में नशा करने का ट्रेंड भी बदल गया है. तेजी से दुनिया डिजिटल की ओर बढ़ रही है. इससे फायदा और नुकसान दोनों सामने आ रहे हैं.

आजकल लोग मेंटल रिलीफ के लिए डिजिटल ड्रग्स लेने लगे है. इस ड्रग का सीधा असर दिमाग पर होता है. इस नए ट्रेंड को लेकर दुनिया भर में रिसर्च की जा रही है.

हालांकि, डिजिटल ड्रग की खोज करीब 183 साल पहले 1839 में हुई थी. डिजिटल ड्रग का पहला मामला साल 2010 में अमेरिका के एक स्कूल में नजर आया. 

इसका नशा करने के लिए सिर्फ मोबाइल, इंटरनेट और हेडफोन की जरूरत होती है और कई लोग मानसिक सुकून के लिए इस डिजिटल ड्रग को लेते हैं.

डिजिटल ड्रग का साइंटिफिक नाम बाइनॉरल बीट्स है. यह म्यूजिक की एक कैटेगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध है. अब हाई होने के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है.

बाइनॉरल बीट्स एक खास प्रकार की ध्वनि होती है जो दाएं और बाएं दोनों कानों में अलग-अलग साउंड फ्रिक्वेंसी के साथ सुनी जाती है. इसे सुनने पर दिमाग के कई भाग सक्रिय हो जाते हैं. जिससे हमारा दिमाग हैप्पी हॉर्मोन्स निकालता है.

रिपोर्ट के अनुसार  बाइनॉरल बीट्स सुनने वालों में करीब 60 फीसदी पुरुष हैं. करीब तीन चौथाई लोग इसे सुनकर अच्छी नींद लेते हैं. वहीं, करीब 34 फीसदी लोग मूड चेंज करने के लिए और करीब 11 प्रतिशत लोग फिजिकल ड्रग्स के असर को रेप्लिकेट करने के लिए इसे सुनते हैं.

वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे सकारात्मक आदत भी मानते हैं. कुछ डॉक्टर का कहना है कि लोग बाइनॉरल बीट्स को ड्रग्स की तरह जरूर ले रहे हैं लेकिन ये सकारात्मक एडिक्शन है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कुछ बीट्स आपके इंटेलिजेंस को भी बढ़ाते हैं.

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