इस्‍लाम छोड़ अपनाया हिंदू धर्म, वसीम रिजवी बने जितेंद्र नारायण स्वामी, जानें वजह
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इस्‍लाम छोड़ अपनाया हिंदू धर्म, वसीम रिजवी बने जितेंद्र नारायण स्वामी, जानें वजह

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म को त्याग कर हिंदू धर्म में वापसी की है. उन्होंने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद गिरी की उपस्थिति में हिंदू धर्म अपना लिया.

 

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चंडीगढ़- उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Shia Central Waqf Board) के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया हैं. इस फैसले के बाद से वसीम रिजवी सुर्खियों में बने हुए हैं. 

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वसीम रिजवी बने जितेंद्र नारायण सिंह 

वसीम रिजवी ने औपचारिक रूप से हिंदू धर्म अपना लिया है. आपको बता दें कि सोमवार को डासना मंदिर के महंत नरसिम्हा आनंद सरस्वती ने रिजवी को औपचारिक रूप से हिंदू धर्म में परिवर्तित कर दिया.

धर्म परिवर्तन के बाद रिजवी अब त्यागी बिरादरी से जुड़ गए. सैय्यद वसीम रिजवी का नया नाम अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (Jitendra Narayan Singh Tyagi) होगा. अब उनका गोत्र वत्स है. 

रिजवी ने अपनी वसीयत में कहा था कि उनके शव का पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए, न कि उनकी मृत्यु के बाद दफनाया जाना चाहिए.

रिजवी ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी अंतिम संस्कार की चिता गाजियाबाद के डासना मंदिर के एक हिंदू संत नरसिंह आनंद सरस्वती द्वारा जलाई जानी चाहिए.

हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हो अंतिम संस्कार 

गोरतलब हैं कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रमुख ने कुरान से 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद विवादों में घिर गए, जिसमें उन्होंने आतंकवाद और जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.
रिजवी ने कहा कि कट्टरपंथियों ने घोषणा की थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को कब्रिस्तान में कोई जगह नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि देश में अशांति नहीं होनी चाहिए, इसलिए उन्होंने अंतिम संस्कार की इच्छा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए.

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