जानिए भगवान शिव के 10 प्रतीक और उनके अर्थ

Raj Rani
Oct 03, 2024

वर्धमान चांद

समय और उसके चरणों का प्रतीक है. शिव के सिर पर अर्धचंद्राकार चंद्रमा समय पर उनके नियंत्रण और अस्थि मनू पर उनके शांत प्रभाव को दर्शाता है.

तीसरी आंख

यह ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है. यह शिव की बुराई और भ्रम को नष्ट करने की क्षमता को दर्शाता है, जो सामान्य धारणा से परे एक दृष्टि प्रदान करता है.

त्रिशूल

सूजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करता है. यह इन सार्वभौमिक प्रक्रियाओं पर भगवान शिव की शक्ति और चेतना की अवस्थाओं पर महारत को दर्शाता है.

रुद्राक्ष की माला

आध्यात्मिक सुरक्षा का प्रतीक. माना जाता है कि शिव से जुड़ी ये माला नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदानं करती है और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाती है.

गले में सांप

भय और मृत्यु पर नियंत्रण को दर्शाता है. सांप शिव की नश्वरता पर विजय और कुंडलिनी ऊर्जा पर प्रभुत्व का प्रतीक है.

गंगा नदी

पवित्रता और जीवन के प्रवाह का प्रतिनिधित्व करता है. शिव की जटाओं से बहती गंगा नदी आध्यात्मिक शुद्धि और समस्त जीवन के पोषण का प्रतीक है.

डमरू

यह सृष्टि और ब्रह्मांडीय लय का प्रतीक है. ढोल की थाप ब्रह्मांड की धड़कन और सृजन और विनाश के बीच संतुलन का प्रतिनिधित्व करती है.

राख

जीवन की नश्वरता का प्रतीक. शिव के शरीर पर लगी राख हमें भौतिक दुनिया की क्षणभंगुर प्रकृति और आध्यात्मिक ध्यान के महत्व की याद दिलाती है.

कैलाश पर्वत

आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है. शिव के निवास के रूप में, यह आध्यात्मिक खोज के शिखर और मुक्ति के अंतिम लक्ष्य का प्रतीक है.

Disclaimer

यह लेख सामान्य मानयताओं पर आधारित है. जी मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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