हिमाचल- चंबा का रुमाल क्यों और कैसे है खास, जानिए
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हिमाचल- चंबा का रुमाल क्यों और कैसे है खास, जानिए

केंद्रीय हेंडीक्राफ्ट मंत्रालय ने कुछ डिजाइनर को बुलाकर जिले की करीब 120 लड़कियों को चंबा के रुमाल और अन्य हाथों से ही निर्मित हुई चीजों का प्रशिक्षण भी दिलवाया।

केंद्रीय हेंडीक्राफ्ट मंत्रालय ने कुछ डिजाइनर को बुलाकर जिले की करीब 120 लड़कियों को चंबा के रुमाल और अन्य हाथों से ही निर्मित हुई चीजों का प्रशिक्षण भी दिलवाया।

शिव शर्मा/चंबा : हज़ारों साल से भी ज्यादा का इतिहास लिए चंबा शहर अपनी प्राचीन संस्कृति और धरोहर की पहचान तो रखता है लेकिन वह पहचान अभी अपने देश तक ही सीमित है। अब इस पहचान को अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार चंबा की प्राचीन संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ले जाने की कोशिश कर रही है। इसमें विशेषकर चंबा का रूमाल भी शामिल है। 

चंबा के रुमालों की कढ़ाई रेशम के महीन धागों से की जाती है और जब यह रुमाल बनकर तैयार हो जाता है तो देखने वाले यह नहीं बता पाते की इसकी कढ़ाई सीधी कहां से है और उल्टी कहां से है। चंबा के रुमाल को प्रमोट करने के लिए केंद्रीय हेंडीक्राफ्ट मंत्रालय ने कुछ डिजाइनर को बुलाकर जिले की करीब 120 लड़कियों को चंबा के रुमाल और अन्य हाथों से ही निर्मित हुई चीजों का प्रशिक्षण भी दिलवाया।

आधुनिकता के इस दौर में अपना देश किसी भी क्षेत्र में किसी को भी पछाड़ने की क्षमता रखता है लेकिन अपनी प्राचीन विरासत जो धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर है जिसको बचाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार अपने सांझा प्रयासों से पुनर्जीवित करने की कशिश में जुट गई है। चंबा रुमाल को प्रमोट करने के लिए केंद्रीय हेंडीक्राफ्ट मंत्रालय ने कुछ लोगों को जिले की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से आई 120, लड़कियों को तीन सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से इस काम को सिखाने पर बल दिया। इस मोके पर दिल्ली से आए हुए एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉन्सिल हैंडीक्राफ्ट के हेड सुधीर यादव ने बताया कि यह जो प्रोग्राम चल रहा है यह DIC और डवलपमेंट ऑफ़ हेंडीक्राफ्ट की जॉइंट वेंचर के माध्यम से चल रहा है। उन्होंने बताया कि यह टोटल दो महीनों का प्रोग्राम था जिसमे चंबा रुमाल के साथ लैदर क्राफ्ट भी था। इसमें कुल मिलाकर 120 लड़कियों को इसकी ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने बताया कि इसमें हमारा मुख्य मकसद मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल और हिमाचल सरकार को प्रमोट करने और इसको आगे ले जाने का है।  

रेशमी धागों और महीन सुई की कारीगरी से बना यह चंबा रुमाल वास्तव में अपनी एक अलग पहचान रखता है। यही कारण है कि इस रुमाल और इस पर की गई बेहतरीन रेशमी निकासी को लेकर करीब आधा दर्जन से भी ज्यादा महिलाओं को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया जा चूका है। इस प्रशिक्षण में हिस्सा लेने और चंबा रुमाल में कौन से टिप्स जरुरी है उनको बताने पिछले दो महीनो से वह महिला भी साथ थी जिनको देश के राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा जा चूका है। इस मौके पर कमला देवी ने ज़ी मिडिया से खास बातचीत  की। उन्होंने कहा कि इस ट्रेनिंग से आगे चंबा रुमाल को लेकर बनी सोसाइटी से आगे यह महिलाएं अपना काम भी करेंगी।

 

 

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