Bihar based doctor Wasim ur Rehman passes UPSC 2024 Exam: बिहार के मुजफ्फरपुर के वसीम-उर-रहमान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर हैं, जहाँ वह मरीजों का इलाज करते हैं. 2024 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 281 वां रैंक हासिल की है, जिससे उन्हें आईएस कैडर मिलेगा. मरीजों का इलाज़ करते- करते अब वो प्रशासनिक सिस्टम का हिस्सा बनकर उसका इलाज़ करेंगे..एक डॉक्टर से आईएस बनने की उनकी जर्नी और अपने जैसे युवाओं को दिए उनके सन्देश के लिए स्क्रॉल करें पूरी खबर..
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Bihar based doctor Wasim ur Rehman passes UPSC 2024 Exam: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार को 2024 की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के नतीजों का ऐलान कर दिया है. इसमें कुल 1009 उम्मीदवार सफल हुए हैं, जिसमें 30 उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इसमें एक उम्मीदवार हैं वसीम उर रहमान. रहमान की आल इंडिया रैंकिंग 281 आई है. वह पेशे से एक MBBS डॉक्टर हैं, और दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में नौकरी करते हैं.
मरीजों से ओवरलोडेड दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अपनी ड्यूटी निभाते हुए UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास कर डॉक्टर वसीम उर रहमान ने साबित कर दिया है कि अगर लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर सही रणनीति के साथ लगातार मेहनत की जाए, तो किसी भी फील्ड में इच्छित परिणाम हासिल करना मुश्किल नहीं होता है.
इसके साथ ही डॉक्टर वसीम उर रहमान ने जो संदेश दिया है, वह लाखों नौजवानों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का काम करेगा. खासकर मुस्लिम समुदाय के नौजवानों में एक नया जोश और उमंग भर देगा, जो ये मानकर निराशा और हीनताबोध के उस भंवर में फंस चुके हैं कि हमें आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है. अब कुछ नहीं हो सकता है..
पारिवारिक स्थिति
डॉक्टर वसीम उर रहमान बिहार के मुजफ्फरपुर के निवासी हैं. उनके पिता हाजी सऊद अज़म रहमानी बिहार में प्रखंड कृषि पदाधिकारी थे, जो अब सेवानिवृत हो चुके हैं. माँ हज्जिन जहां आरा खातून एक सरकारी स्कूल में प्रधान शिक्षिका थीं. उनके बड़े भाई मुजफ्फरपुर में ही व्यवसाय करते हैं, जबकि छोटा भाई पटना में कानून की पढाई करता है. उनकी दो बहने भी हैं, जो विवाहित हैं. एक बहन सरकरी स्कूल में टीचर हैं, जबकि दूसरी बहन एक गृहणी हैं.
वसीम उर रहमान की बुनियादी शिक्षा
डॉक्टर वसीम उर रहमान की प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में ही घर के पास एक निजी स्कूल हाजरा अली एकेडमी में हुई. इसके बाद कुछ दिनों तक उन्होंने DAV स्कूल में पढ़ाई की थी. 9 वीं से लेकर 12 वीं तक की उनकी पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक स्कूल से हुई. 2014 में उन्होंने 91 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 परीक्षा पास की थी.
MBBS में एडमिशन
वसीम उर रहमान ने 12 वीं पास करने के बाद 2014 में ही बिहार कंबाइंड एंट्रेंस कॉम्पिटिटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (बीसीईसीईबी) द्वारा आयोजित बिहार मेडिकल परीक्षा में पूरे प्रदेश में टॉप किया था, लेकिन बाद में दिल्ली में सफदरजंग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी नाम आने के बाद उन्होंने बिहार से मेडिकल की पढ़ाई न कर दिल्ली से करने का फैसला लिया था.
MBBS की पढ़ाई करते हुए UPSC की तैयारी
MBBS की पढ़ाई अपने आप में एक कठिन पढ़ाई होती है. दिल्ली के AIMS, सफदरजंग या देश के किसी बड़े संस्थान से MBBS करने वाले स्टूडेंट्स को कुछ ज़्यादा ही मेहनत करनी होती है, इसके बावजूद वसीम उर रहमान ने डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी थी. पहली बार उन्होंने MBBS की पढ़ाई पूरी होते ही 2020 में UPSC का एग्जाम दिया था, और उस एग्जाम में इंटरव्यू तक पहुंचे थे. तीन अटेम्पट में वो इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन फाइनल सिलेक्शन से वंचित होना पड़ा.. 2024 में उनका ये चौथा और अन्तिम प्रयास था.
UPSC का विषय और तैयारी में कोचिंग की मदद
वसीम उर रहमान ने UPSC की मुख्य परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर मानवशास्त्र रखा था. इसकी पढाई के लिए उन्होंने एक कोचिंग संस्थान का ऑनलाइन कोर्स भी ज्वाइन किया था. उनके मुताबिक, वो रोज़ाना 6-7 घंटे अपनी पढ़ाई में खर्च करते थे. उन्होंने कभी किसी ऑफलाइन कोचिंग संस्थान में एडमिशन नहीं लिया. रहमान कहते हैं, "अस्पताल में रोजाना 7-- 8 घंटे की शिफ्ट करने के बाद इतना वक़्त ही नहीं होता था कि किसी कोचिंग में जाकर पढ़ाई की जाए. " वो इस परीक्षा के लिए मौजूद डिस्टेंस या ऑनलाइन स्टडी मटेरियल को भी पर्याप्त मानते हैं.
डॉक्टरी छोड़कर सिविल सर्विस में क्यों आये ?
डॉक्टरी पेशा अपने आप में एक सेवा का प्रोफेशन है. इसके बावजूद डॉक्टरी छोड़कर सिविल सेवा में आने की प्रेरणा कहाँ और कैसे मिली, इस सवाल के जवाब में वसीम उर रहमान कहते हैं, " इसकी प्रेरणा की नीव घर में ही पड़ चुकी थी. पिता और माता जी दोनों सरकारी सेवा में थे. मैं डॉक्टर बनकर मरीजों के कष्ट दूर करता था, लेकिन सिविल सेवा में आकर एक बड़े समूह और आबादी के जीवन को बेहतर और उन्नत करने का मौका मिलता है. सिविल सर्वेंट का दायरा एक डॉक्टर से कहीं ज्यादा बड़ा होता है. इसलिए मैंने MBBS के बाद PG की पढ़ाई करने के बजाये UPSC का रास्ता चुना."
मुस्लिम नौजवानों को क्या सन्देश देंगे ?
क्या आपने अपने अबतक के करियर में कभी भी अल्पसंख्यक होने की वजह से किसी तरह के भेदभाव का सामना किया है, इस सवाल पर वसीम उर रहमान कहते हैं, " सरकार खुद चाहती है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक देश की मुख्यधारा में शामिल हो. वो जीवन में तरक्की करें और आगे बढ़े. कहीं किसी के साथ भेदभाव नहीं होता है. UPSC में मुस्लिम युवा कम आते हैं, इसलिए परिणाम में भी उनकी संख्या कम होती है. अगर वो ज़यादा तादाद में तैयारी करेंगे तो नतीजे भी और बेहतर आयेंगे. आज मेडिकल में उनकी तादाद काफी बढ़ रही है, ऐसे ही उन्हें सिविल सर्विस में भी आगे आना होगा. माता- पिता अपने बच्चों को प्रेरित करें. उन्हें बेहतर शिक्षा देने की पहल करें. दुनिया के हर काम में कामयाबी के लिए मेहनत करनी होती है. इंतज़ार करना होता है. सब्र से काम लेना होता है. यहाँ भी जो इमानदारी से कोशिश करेगा, कामयाबी एक दिन उसके कदम चूमेगी..
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