फराज अनवर (Faraz Anwar) पाकिस्तान के साथ ही हिन्दुस्तान में भी बेहद मुमताज है. उनकी गीतों के दोनों मुल्कों में करोड़ो कद्रदान हैं, लेकिन वह अपने ही मुल्क में भेदभाव के शिकार हैं. उन्होंने कहा कि हराम तो जुआ, ब्याज और जिना भी है, लेकिन ये बंद क्यों नहीं होते ?
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नई दिल्लीः कुछ साल पहले अभिनेत्री शबाना आजमी के एक बयान ने काफी तूल पकड़ा था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुंबई के एक रिहाईशी काॅलोनी में उन्हें सिर्फ इसलिए मकान देने से मना कर दिया गया था क्योंकि वह मुस्लिम हैं. लेकिन अगर ऐसा ही मामला पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में किसी के साथ पेश आए और इसमें मकान लेने और देने वाला दोनों मुसलमान हों तो आप क्या कहेंगे ? यूं तो ये बात गले के नीचे नहीं उतरती है लेकिन ये सोलह आने सच है. पाकिस्तान का मुस्लिम समाज अपनी ही जात, बिरादरी और कौम के साथ ये भेदभाव करता है.
इस्लाम के नाम पर एकता और भाईचारे की दुहाई देने वाला समाज खुद में घारे जातिवादी है. वह गाने-बजाने का काम करने वाले को ’कंजर’ और ’मिरासी’ कहकर उनका अपमान करता है, क्योंकि कंजर और मिरासी लोग मुसलमान होते हुए भी सदियों से गाने-बजाने का काम करते आए हैं. पाकिस्तान में संगीतकारों के खस्ता हालात का खुलासा वहां के मशहूर मौशिकीकार और गलूकार फराज अनवर (Faraz Anwar) ने किया है. फराज अनवर ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में मुल्क में संगीतकारों-गीतकारों के संघर्षाें की दास्तान बयान की है.
पाकिस्तानी समाज कलाकारों से करता है भेदभाव
फराज अनवर (Faraz Anwar) पाकिस्तान के साथ ही हिन्दुस्तान में भी बेहद मुमताज है. उनकी गीतों के दोनों मुल्कों में करोड़ो कद्रदान हैं. वह पिछले 3 दशकों से पाकिस्तान में हेवी मेटल और हार्ड रॉक जॉनर के फन में अपना योगदान दे रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान जैसे मुल्क में उनके लिए चुनौतियां अब भी कम नहीं हुई हैं. पाकिस्तानी म्यूजिक इंडस्ट्री की मशूहर शख्सियत अली हैदर, जुनून, जुनैद जमशेद, सज्जाद अली और स्ट्रिंग्स के साथ काम कर चुके फराज ने पाकिस्तान के मौशिकीकारों और गलूकारों के जरिए अपने ही मुल्क में किए जा रहे भेदभाव को बयान किया है.
म्यूजिक को प्रोफेशन नहीं मानता है पाक का समाज
फराज कहते हैं, पाकिस्तान में आज भी नए कलाकारों के लिए इस इंडस्ट्री में जगह बनाना बेहद मुश्किल काम है. वह कहते हैं पाकिस्तान के कुछ लोगों के दिलों में कलाकारों के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने ये एहसास किया है कि लोग समझ नहीं पाते हैं कि आर्टिस्ट कैसे काम करते हैं? वह क्या चाहते हैं ? उनकी दिक्कतें क्या है ? फराज कहते हैं, आज के दौर में भी लोगों को लगता है कि म्यूजिक एक साइड बिजनेस है और म्यूजिक से वही लोग जुड़ते हैं जिनके खानदान वालों की आर्थिक हालात अच्छे होते है. यहां इसे एक प्रोफेशन के तौर पर समाजिक स्वीकृति नहीं है.
हराम तो जुआ, ब्याज और जिना भी है, लेकिन ये बंद क्यों नहीं होते ?
फराज कहते हैं कि इस्लाम में म्यूजिक को हराम करार दिया गया है, इस वजह से उनके मुल्क के लोग उनसे नफरत करते हैं. हालांकि म्यूजिक को हराम बताए जाने को लेकर वह अफसोस जाहिर करते हैं और कहते हैं कि मैंने कुरान का पांच बार तर्जुमा पढ़ा है लेकिन उसमें एक भी जगह ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला जिससे यह साबित होता हो कि म्यूजिक हराम है. फराज कहते हैं हालांकि कुरान में जुआ, लोन और रेप को हराम बताया गया है, लेकिन इनमें से कुछ बंद नहीं हुआ है. आप हमारे किसी भी बैंक में जाकर लोन ले सकते हैं, वह ब्याज में आपको आसानी से कर्ज दे देते हैं.
भारतीय फैंस छूते हैं पांव, पाक के लोग बुलाते हैं कंजर
फराज ने कहा कि मैं जब अपने भारतीय फैंस से मिलता हूं तो वे मेरे पांव छूते हैं जबकि पाकिस्तानी भारतीय गाने सुनते हुए मुझे ’कंजर’ और ’मिरासी कहकर बुलाते हैं. यहां तक कि कुछ लोग काफिर भी समझते हैं. भारत में कलाकारों के हालात को लेकर फराज कहते हैं, मैं ये नहीं कह रहा हूं कि भारतीय भेदभाव नहीं करते हैं, शबाना आजमी ने भी बताया था कि एक मुसलमान के रूप में उनके लिए भारत में किराए पर घर ढूंढना कितना मुश्किल था, लेकिन पाकिस्तान में मुस्लिम संगीतकारों को तो ’काफिर’ तक कह दिया जाता है.
संगीतकार के नाम पर किराए पर नहीं दिया मकान
फराज ने कहा कि पाकिस्तानी समाज में संगीत से जुड़े लोगों से नफरत अंदर तक फैली हुई है, और इसकी बुनियाद में लोगों का महजब ही है. उन्होंने कहा कि मैं साल 2005 में एक स्टूडियो बनाना चाहता था लेकिन हम कोई लोकेशन ही पक्की नहीं कर पा रहे थे. हम जहां भी जाते, लोग कहते कि वे बहुत रूढ़िवादी मुस्लिम हैं और वे म्यूजिक आर्टिस्ट्स को स्टूडियो खोलने नहीं दे सकते हैं. फराज ने कहा कि दिक्कतें इतनी भर नहीं है बल्कि मुझे कराची जैसे शहर में घर लेने तक में इस तरह के सवालों से जूझना पड़ा.
बैंक ने नहीं खोला खाता
फराज अनवर ने बताया कि एक बार पाकिस्तान में उनका बैंक अकाउंट खोलने से भी मना कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि मुझे एक अकाउंट खोलना था ताकि विदेशों से इसमें पैसा मंगवाया जा सके क्योंकि मैं ऑनलाइन क्लासेस देता हूं. लेकिन मुझे कहा गया कि मेरी अर्जी को खारिज कर दिया गया है क्योंकि मैं एक म्यूजिक आर्टिस्ट हूं. मैंने जब परेशानी भरे लहजे में बैंक के स्टाफ से पूछा कि क्या मैं काफिर हूं, तो उस बैंक के कर्मचारी ने जवाब में सर हिलाकर हामी भर दी थी. उन्होंने कहा कि लोग जानते हैं कि हमारा संदेश दूर-दूर तक जाता है और धर्म के ठेकेदारों को लगता है कि हम उनका पर्दाफाश कर सकते हैं. वे लोगों की सोच को पूरी तरह काबू कर लेना चाहते हैं.
कालाकारों की हिमायत में नहीं खड़े होते हैं लोग
फराज कहते हैं, पाकिस्तान में कलाकारों की हिमायत में कोई खड़ा नहीं होता है. धर्म के ठेकेदारों का डर इतना गहरा है कि लोग अपने पंसदीदा कलाकारों की हिमायत में बोल नहीं पाते और उनकी मजबूरी का तमाशा देखते रहते हैं.’’ फराज ने कहा कि जुनैद जमशेद को एयरपोर्ट थप्पड़ मारा गया, लोग वहां खड़े होकर देखते रहे. अमजद साबरी की दिनदहाड़े एक बाजार में गोली मारकर कत्ल कर दिया गया और किसी ने उसकी परवाह नहीं की. वह आगे कहते हैं, ’’संगीतकारों को छोड़िए, ये देखिए कि प्रोफेसर अब्दुस सलाम के साथ कैसा बर्ताव किया गया.
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