Gaza News: फिलिस्तीन के भारत में राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने कहा कि गाजा में मानवीय त्रासदी को खत्म करने के लिए भारत को आगे आना चाहिए. उन्होंने इस दौरान भारत के पुराना स्टैंड का भी हवाला दिया.
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Gaza News: फिलिस्तीन के भारत में राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने भारत से अपील की है कि वह गाज़ा में जारी मानवीय त्रासदी को खत्म करने और जंग के बाद इलाके के मुस्तकबिल को आकार देने में भूमिका निभाए. उन्होंने कहा कि भारत के पास इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों के साथ एक बैलेंस रिश्ते हैं और उसकी कूटनीतिक साख उसे 'फिलिस्तीनी पीड़ा को समाप्त करने' में अहम भूमिका निभाने के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है.
राजदूत ने भारत से अपील की कि वह इज़राइल के साथ अपने करीबी रिश्तों का इस्तेमाल जवाबदेही तय करने और गाज़ा को दोबारा तामीर करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए करे. उन्होंने कहा, "हमें भारत के राजनीतिक प्रभाव की ज़रूरत है ताकि इस तबाही को खत्म किया जा सके और गाज़ा को दोबारा बनाया जा सके."
अबू शावेश ने बताया कि जंग में सबसे ज्यादा नुकसान आम नागरिकों को हुआ है. उन्होंने कहा, "67,000 फिलिस्तीनी जो मारे गए. वे पूरी तरह से नागरिक थे, उनका हमास से कोई संबंध नहीं था." उनके अनुसार, रिकॉर्ड और तस्वीरें साबित करती हैं कि पीड़ित लोग लड़ाके नहीं थे.
उन्होंने गाज़ा में भुखमरी, खाद्य संकट और स्वास्थ्य व्यवस्था के ढह जाने की भयावह तस्वीर पेश की. हम 500 बच्चों की बात कर रहे हैं जो भूख और कुपोषण के कारण मर गए. कई सर्जरी बिना एनेस्थीसिया के की गईं. बच्चों के हाथ-पैर बिना बेहोशी की दवा के काटे गए.
अबू शावेश ने कहा कि गाज़ा में हो रही हिंसा इंटरनेशनल लेवल पर नरसंहार की परिभाषा में आती है. उन्होंने कहा कि यह हमारा नहीं, संयुक्त राष्ट्र का कहना है... यहां तक कि इज़राइली मानवाधिकार समूहों ने भी इसे नरसंहार कहा है.
हमास पर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा, "अगर आप हमास को आतंकवादी कहते हैं, तो मुझे बहस के लिए कोई आपत्ति नहीं. लेकिन आप इज़राइली कब्जे को क्या कहेंगे? जब कब्जा ही आतंक का साफ उदाहरण है, तो फिर आतंक की परिभाषा क्या होगी?"
उन्होंने दोहराया कि भविष्य के फिलिस्तीन राज्य में किसी भी सशस्त्र गुट या मिलिशिया के लिए कोई जगह नहीं होगी. उनका कहना था कि कई बार इज़राइली नीतियों ने खुद हमास को मज़बूत किया है, जिसका ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद है.
भारत की भूमिका पर बोलते हुए अबू शावेश ने महात्मा गांधी के फिलिस्तीन विभाजन के विरोध और 1988 में फिलिस्तीन की भारत द्वारा मान्यता देने को याद किया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का लगातार समर्थन दोनों देशों के मजबूत रिश्तों का सबूत है.
आतंकवाद को लेकर चिंताओं पर उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी नेतृत्व भारत के साथ खड़ा है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद राष्ट्रपति महमूद अब्बास के जरिए भारत को भेजे गए शोक संदेश का ज़िक्र करते हुए कहा, "हमारा रुख साफ है... हमने इसकी निंदा की थी."