गाजा के ज़्यादातर हिस्से में मलबे के बीच पुरुषों और बच्चों को खुले में पारंपरिक ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा करने के लिए मजबूर होना पड़ा और खाद्य आपूर्ति कम होने के की वजह से, परिवारों को तीन रोजा बकरीद के लिए जो कुछ भी मिल सकता था, उसी से काम चलाना पड़ रहा था. कई लोगों को मदद में मिलने वाल खाना तक नसीब नहीं हुआ.
वहीँ, गाजा और फिलिस्तीन से सटे और आसपास के मुस्लिम देशों में बड़े धूम धाम से बकरीद मनाई गई. गज़ा के हालात से बेफिक्र लोगों ने अपनी हैसियत के मुताबिक पूरे शान ओ शौकत से इस पर्व को सेलिब्रेट किया. कतर की एक मस्जिद में मस्जिद में नामज़ की सफ में खड़ा एक बच्चा..
गज़ा में बकरीद के दिन भी बच्चों को खाना और पानी तक नसीब नहीं हुआ.. आसमानों से मौत बरसती रही.. बकरीद के दिन भी हुए हमले में 20 लोग मारे गए. हर तरफ मातम और खौफ का आलम रहा.
दक्षिणी शहर राफा में, पास के खान यूनिस में नासिर अस्पताल के पास मानवीय सहायता लेने की कोशिश करते समय सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
लगातार दूसरे साल गाजा में रहने वाले मुसलमान पारंपरिक तीर्थयात्रा करने के लिए सऊदी अरब नहीं जा पाए. उनके पास कोई संसाधन नहीं बचा है. वो अब कुर्बानी करने लायक भी नहीं हैं.
खान यूनिस के दक्षिणी शहर में नमाज़ में शामिल होने के बाद कामेल ने कहा, "फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ़ जंग की वजह से यह सबसे खराब बकरीद है. घर में कोई भोजन नहीं है, कोई आटा नहीं है, कोई छत नहीं है, कोई मस्जिद नहीं है, कोई घर नहीं है, कोई गद्दे नहीं हैं. इलाज के लिए पैसे दवा और अस्पताल नहीं है. हालात बहुत, बहुत बदतर हैं."
7 जुलाई, 2023 को, हमास के नेतृत्व वाले लड़ाकों ने इजरायल पर एक हमला किया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए, जिनमें से ज़्यादातर नागरिक थे, और 251 बंधकों का अपहरण कर लिया गया. वे अभी भी 56 बंधकों को बंदी बनाए हुए हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई के जीवित होने का अनुमान है, जबकि बाकी के ज़्यादातर लोगों को युद्धविराम समझौतों या अन्य सौदों में रिहा कर दिया गया था. इजरायली सेना ने गाजा से आठ जीवित बंधकों को बचाया है और दर्जनों शव बरामद किए हैं.
तब से, इजरायल ने अपने सैन्य अभियान में 54,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों को मार डाला है, जिनमें मुख्य रूप से महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं, गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक , इजराइल नागरिकों या लड़ाकों के बीच अंतर नहीं करता है.
इस हमले ने गाजा के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया है और लगभग 2 मिलियन फ़िलिस्तीनियों की आबादी के लगभग 90% लोगों को विस्थापित कर दिया है.
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