Shani Shingnapur Temple News: मशहूर शनि शिंगणापुर देवस्थान मंदिर को गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता रहा है, यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं. मंदिर हिंदू और मुस्लिम सभी वर्ग के कर्मचारी तैनाता हैं. हालांकि, शनि देवस्थान ट्रस्ट के एक फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
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Maharashtra News Today: देश के कई राज्यों में लगातार मुसलमानों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. इसकी आंच अब सरकारी कार्यालयों से लेकर पवित्र धार्मिक स्थलों तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित मशहूर शनि शिंगणापुर देवस्थान मंदिर में कर्मचारियों को लेकर बड़े स्तर पर फेरबदल किया गया है, जिसको लेकर बवाल शुरू हो गया है.
दरअसल, अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर देवस्थान मंदिर हर रोज देश दुनिया के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं को बेहतर सहूलियत देने के लिए मंदिर में सैकड़ों को कर्मचारियों को तैनात किया गया है, यह कर्मचारी शनि शिंगणापुर देवस्थान मंदिर के अलग- अलग विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
वहीं, शुक्रवार (13 जून) को शनि शिंगणापुर स्थित प्रसिद्ध शनि देवस्थान ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने 167 कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया है. इनमें से 114 मुस्लिम कर्मचारी भी शामिल हैं, जो वर्तमान में देवस्थान में कार्यरत थे और मंदिर में अपनी सेवाएं दे रहे थे. संस्था ने इस कार्रवाई के पीछे अनियमितता और अनुशासन का पालन न करने जैसी वजहों का हवाला दिया है.
देवस्थान प्रबंधन का कहना है कि यह फैसला कर्मचारियों के प्रदर्शन और नियमों के पालन न करने से संबंधित है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पिछले कुछ दिनों से कई हिंदू संगठनों के जरिये देवस्थान से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था. इस कार्रवाई के बाद से कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम धार्मिक संगठनों के दबाव का नतीजा हो सकता है, जबकि देवस्थान प्रबंधन इसे विशुद्ध रूप से प्रशासनिक फैसला बता रहा है. इस घटनाक्रम के बाद "चौथे देवता शनिदेव ने मुस्लिम लोगों की मदद से पूरे हिंदू समाज की ओर से आंदोलन शुरू किया होगा" जैसी बातें भी सामने आ रही हैं, जो इस मुद्दे को और संवेदनशील बना रही हैं. हालांकि, देवस्थान ट्रस्ट ने अपने फैसले को पूरी तरह से आंतरिक और प्रशासनिक बताया है और किस भी तरह के दबाव के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.