UP Panchayat Election: उत्तर प्रदेश में अभी से पंचायत चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई है. साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनावों को उत्तर प्रदेश की सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही वजह है कि सियासी दल कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, इसी कड़ी में AIMIM पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की योजना बना रही है.
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Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश में भले ही अभी पंचायत चुनावों में लंबा समय हो, लेकिन सभी सियासी दल इसके जरिए 2027 के विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार करने में जुट गई हैं. इसी कड़ी में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी यूपी के पंचायत चुनाव में उतरने का इरादा कर रही है.
AIMIM पूरी ताकत के साथ पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. पंचायत चुनाव के कुछ महीनों बाद ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही वजह है कि न सिर्फ AIMIM बल्कि समाजवादी पार्टी, बीजेपी, बीएसपी, कांग्रेस समेत दूसरे क्षेत्रीय दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.
AIMIM जिला पंचायत सदस्य के साथ-साथ वार्ड के चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारियों में है. शुक्रवार (20 जून) को प्रयागराज पहुंचे AIMIM की यूपी इकाई के पूर्वांचल अध्यक्ष इसरार अहमद ने दावा किया कि उनकी पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ेगी. उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी जिलों में बूथ स्तर से लेकर संगठन को मजबूत बनाने का काम तेजी से चल रहा है.
इसरार अहमद ने स्पष्ट किया कि फिलहाल उनकी पार्टी अकेले पंचायत चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अगर कोई दल गठबंधन की इच्छा जताता है, तो इस पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फैसला लेगा. लेकिन मौजूदा समय में AIMIM अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए कमर कस रही है. AIMIM नेता ने यह भी बताया कि पंचायत चुनाव के जरिए उनकी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति का भी आंकलन करना चाहती है.
AIMIM के उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में उतरने से बीएसपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ सकता है. इन दोनों दलों के लिए पंचायत चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि मुस्लिम वोटों का बिखराव देखने को मिल सकता है. मुस्लिम वोटों का यह बिखराव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राह को भी मुश्किल बना सकता है.
हालिया कुछ चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के वोट बैंक में मामूली इजाफा देखने को मिला है.'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के स्टैंड से AIMIM के प्रति लोगों के नजरिये में बदलाव देखा जा रहा है. हालिया दिनों में क्षेत्रीय स्तर पर दूसरे जाति और संप्रदाय के नेताओं ने भी AIMIM का रुख किया है.
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