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Bihar Election 2015: न कोई किचकिच न कोई रोक, बुर्कानशीं औरतें भी ठसक के साथ करेंगी वोट; EC की फुलप्रूफ व्यवस्था!

EC on Burqa in Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बुर्का पहनकर वोटिंग विवाद को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने खास प्लान बनाया है. इसके तहत बिहार चुनाव में मतदान केंद्रों पर आंगनबाड़ी सेविकाओं को तैनात कर पहचान सुनिश्चित करने का कदम उठाया है. इससे फर्जी वोटिंग और पहचान से जुड़े विवाद को रोका जाएगा.

 

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

Bihar Assembly Election 2025: निर्वाचन आयोग के जरिये बिहार में दो चरणों में मतदान के ऐलान के साथ ही सियासी रस्साकशी तेज हो गई है. विपक्ष के आरोप और सत्तारूढ़ पार्टियों की मांग को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. उन्हीं में से एक है कि क्या बुर्के में मुस्लिम औरतें शांतिपूर्ण ढंग से वोटिंग कर सकेंगी? इसको लेकर जेडीयू और बीजेपी ने आयोग से खास मांग की थी. 

बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि अगर बिहार में वोटिंग के दौरान बुर्के की इजाजत दी जाती है तो फिर घूंघट की भी इजाजत मिलनी चाहिए. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन आयोग के सामने मतदान केंद्रों पर बुर्के में आने वाली औरतों की जांच करने की मांग की थी. बीजेपी-जेडीयू की इस मांग को लेकर सियासी गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई थी और सबकी नजरें चुनाव आयोग पर थी कि वह इस कथित विवाद का क्या तोड़ निकालता है.

चुनाव आयोग का खास प्लान

बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान के मौके पर जब मीडिया ने चुनाव आयोग से मतदान सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर सवाल पूछा, तो आयोग ने बु्र्काव विवाद को लेकर एक खास ऐलान किया है. इसके तहत बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान सभी मतदान केंद्र पर आंगनबाड़ी सेविकाओं को तैनात किया जाएगा.

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मुख्य चुनाव चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि मतदान केंद्रों पर तैनात की जाने वाली आंगनवाड़ी सेविकाएं स्थानीय स्तर पर जानी-पहचानी होंगी और उन्हें मतदान केंद्र पर वोटिंग के लिए आने वाली औरतों की पहचान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी. खास तौर पर बुर्का पहनकर मतदान करने वाली औरतों की पहचान करने का काम इन सेविकाओं को सौंपा जाएगा.

आयोग ने स्पष्ट किया कि अगर किसी महिला वोटर की पहचान पर संदेह होगा, तो तैनात आंगनबाड़ी सेविकाएं बुर्का हटाकर उसकी पहचान जांचेंगी. यह कदम मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षित मतदान सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि यह व्यवस्था सिर्फ सुरक्षा और पहचान सुनिश्चित करने के मकसद से है, ताकि किसी भी तरह के फर्जी मतदान या पहचान संबंधी विवाद से बचा जा सके.

इन राज्यों में बुर्के को लेकर हो चुका है विवाद

भारत में हालिया कुछ सालों में चुनाव के दौरान बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन के नेता लगातार बुर्का या नकाब पहनकर वोटिंग का विरोध करते रहे हैं. इसको लेकर कई राज्यों में काफी विवाद भी देखने को मिला है. नतीजतन सुप्रीम कोर्ट को वोटिंग के दौरान बुर्का पहनने को लेकर आदेश जारी करना पड़ा. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना के हैदराबाद में बीजेपी प्रत्याशी माधवी लता ने बुर्का पहने महिलाओं से चेहरा दिखाने की मांग की, जिसका वीडियो वायरल हुआ और एफआईआर दर्ज हुई.

उत्तर प्रदेश में भी बुर्का पहनकर फर्जी वोटिंग के आरोप पहले से लगे हुए हैं. 2019 में मुरादाबाद (अमरोहा) में ऐसा दावा किया गया था. 2022 विधानसभा चुनाव और 2024 के उपचुनावों में मुरादाबाद (कुंदरकी), मुजफ्फरनगर (मीरापुर) और कानपुर (सीसामऊ) में पुलिस ने बुर्का पहनकर वोटिंग करने वाली महिलाओं को रोकने और दुरुपयोग के आरोपों की जांच की. बीजेपी ने इस मामले में चुनाव आयोग को पत्र भेजकर कठोर सत्यापन की मांग की.

दिल्ली में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बुर्का पहनकर वोटिंग करने वालों के सत्यापन की मांग की थी. 2025 विधानसभा चुनाव में सीलमपुर में बुर्का के बहाने फर्जी वोटिंग का आरोप लगा. बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बुर्का पहनकर वोट देने वाली महिलाओं के चेहरों का वोटर आईडी से मिलान करने की मांग उठाई, जिससे राजनीतिक विवाद तेज हो गया. उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बुर्का की तुलना घूंघट से करते हुए इस कदम का समर्थन किया.

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