अगर इस्लामिक तरीके से करते तो नहीं लौटती बारात, बिजनौर में जूता चुराई रस्म की वजह से टूटी शादी
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अगर इस्लामिक तरीके से करते तो नहीं लौटती बारात, बिजनौर में जूता चुराई रस्म की वजह से टूटी शादी

Uttar Pardesh News: बिजनौर के एक मुस्लिम परिवार की शादी में रस्मों-रिवाजों को लेकर विवाद हो गया है. बताया जा रहा है कि जूता चुराई की रस्म में कम पैसे मिलने के वजह से बारात बिना दुल्हन के वापस लौट गई है. हालांकि शरियत में बिना दहेज और सादगी से निकाह करने का हुक्म है. जानें क्या है पूरा मामला.... 

अगर इस्लामिक तरीके से करते तो नहीं लौटती बारात, बिजनौर में जूता चुराई रस्म की वजह से टूटी शादी

Uttar Pardesh News: हिन्दुस्तान में शादियों की तमाम रस्मों को धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन कभी - कभी इन रस्मों के वजह से शादियों में विवाद होते हैं. ऐसी ही एक खबर यूपी के बिजनौर से भी सामने आई है, जहां मुस्लिम परिवार की शादी में जूता चुराई की रस्म के वक्त दोनों पक्षों में विवाद हो गया है.

विवाद बिजनौर थाना नांगल क्षेत्र के भारत बैंक्वेट हॉल का है, जहां निकाह में जूता चुराई की रस्म में कम पैसे मिलने के वजह से दोनों परिवारों में विवाद हो गया. बाद में विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि बारातियों को घंटों तक बंधक बनाए रखा गया और बारात बिना दुल्हन के वापस लौट गई. 

डिमांड पूरी न करने से हुआ विवाद 
बताया जा रहा है कि बारात 13 अप्रैल की रात नजीबाबाद से आई थी, जिसका इस्तकबाल बेहद मोहब्बत के साथ किया गया. निकाह में जूता चुराई की रस्म पर साली ने 15,000  की डिमांड की, लेकिन दूल्हे की तरफ से उसे 2,100 रूपय दिए गए, जिसके बाद मामला बिगड़ गया. बात यह है कि उसी हॉल में लड़की की दूसरी बहन की भी शादी हो रही थी, जिसमें दूल्हे ने 15,000 की पूरी रकम देकर साली को खुश कर दिया था. इसी तुलना से शादी में विवाद हुआ है. विवाद में कहासुनी और मारपीट भी हुई. इसकी खबर देर रात पुलिस को दी गई, जिसके बाद पुलिस ने दोनों पक्षों में सुलह करवाई. हालांकि शादी अधूरी रह गई.

सादगी से निकाह का हुक्म 
ऐसा ही एक और मामला 20 दिन पहले मेरठ से भी सामने आया था, जहां जूता चूराई की रस्म में 5 लाख की डिमांड की गई थी. लेकिन , डिमांड पूरी न होने के वजह से दोनों परिवारों में बहस हुई और बारात दूल्हन के बिना वापस लौट गई.

क्या कहता है इस्लाम.?
आपको बता दें कि इस्लाम में सादगी से निकाह का हुक्म है. शरियत में बिना बारात और बिना तमाम समाजिक रस्मों के सादगी के साथ चार लोगों में निकाह करने की बात कही गई है. लेकिन, आजकल लोगों ने हाई डिमांड और अपने मनचाहे रस्मों-रिवाजों के साथ निकाह को महज एक मजाक बना दिया है.   

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